कुंडली में दूसरा विवाह है तो कैसे पता चलेगा?
आपकी कुंडली आपके जीवन का आइना है, इसके विश्लेषण द्वारा आपके जीवन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण क्षेत्र या इकाई को परखा जा सकता है। विवाह जीवन का महत्वपूर्ण अंग है लेकिन कभी-कभी कुंडली में दो विवाह का योग बनता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने वैवाहिक जीवन में बहुत सी कठिनाइयों से जूझ रहा होता है क्यूंकि कहीं न कहीं उसकी कुंडली में दूसरा विवाह योग/ second marriage yoga in kundli उसे परेशानी दे रहा होता है। कुंडली के ग्रह कुछ ऐसे योगों का निर्माण करते हैं जिनसे पता चलता है कि व्यक्ति की दो विवाह की संभावना है।
आइये जानते हैं कि कुंडली में दो विवाह का योग कब बनता है और क्या व्यक्ति इससे बच सकता है? साथ ही साथ हम यह भी जानेंगें कि कैसे आपकी कुंडली यह भी बताती है कि आपका दूसरा विवाह सफल होगा या नहीं और आप अपने दुसरे विवाह में कितने खुश रहेंगें।
कुंडली में दूसरे विवाह के योग
ज्योतिष शास्त्र में, दूसरे विवाह के लिए हम नवें भाव पर ध्यान देते हैं पर उसके लिए पहले आपका सातवां भाव पीड़ित होना चाहिए जो विवाह का मुख्य भाव है। साथ ही साथ शुक्र, चन्द्रमा, और गुरु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चन्द्रमा यदि सातवें भाव में हो तो वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति देता है। शुक्र ग्रह विवाह का कारक है और इसकी स्थिति भी दूसरे विवाह के लिए अति आवश्यक है। बृहस्पति भी विवाह का कारक है और वैवाहिक सुख के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
कुंडली में दूसरे विवाह के लिए ग्रहों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रह हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं, जो कभी कुछ अच्छा और कभी कुछ बुरा।
कुंडली में दूसरे विवाह के लिए महत्वपूर्ण ग्रह:
- मंगल ग्रह – मंगल को एक आक्रामक ग्रह माना जाता है जो विवाह जैसे रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसका सातवां घर से संबंधित होने पर तलाक की संभावना पैदा होती है। स्वास्थ्य भविष्यवाणी के लिए भी मंगल की मदद ली जाती है।
- राहु और केतु ग्रह – राहु और केतु को पाप ग्रह माना जाता है, और इनका बुरा प्रभाव दूसरे विवाह की संभावना को बढ़ा सकता है, विशेषकर सप्तम भाव में।
- सूर्य और चंद्रमा ग्रह – सूर्य और चंद्रमा का सप्तम भाव में होना एकस्ट्रा मैरिटल अफेयर की संभावना बढ़ा सकता है और पहली शादी में तलाक की संभावना होती है।
- शनि ग्रह – शनि का बुरा प्रभाव व्यक्ति को विलासी और अवैध संबंधों में ले जाता है, जिससे तलाक हो सकता है।
- शुक्र ग्रह – शुक्र का बुरा प्रभाव भी दूसरे विवाह के योग को बढ़ा सकता है और विवाहित जीवन में समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है।
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दूसरे विवाह के लिए व्यक्ति की कुंडली के निम्न भाव महत्वपूर्ण है:
- द्वितीय भाव – द्वितीय भाव मुख्य रूप से धन से संबंधित होता है, लेकिन इस भाव के पाप ग्रहों का होना व्यक्ति के दूसरे विवाह के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
- सप्तम भाव – सप्तम भाव विवाह से संबंधित होता है और इस भाव में शुक्र का प्रभाव व्यक्ति के दो विवाहों के योग को बढ़ा सकता है।
- अष्टम भाव – अष्टम भाव में पाप ग्रहों के रहने से व्यक्ति का दूसरा विवाह हो सकता है, विशेषकर जब शनि सप्तम भाव में होता है। संपत्ति ज्योतिष द्वारा विवाद समाधान में भी आठवें भाव की अहम भूमिका रहती है।
क्या मेरी दूसरी शादी हो सकती है?
आपका दूसरा विवाह आपके नवम भाव पर निर्भर करता है। दूसरे विवाह के लिए यदि आपको सही दशा व गोचर मिला तो आपका दूसरा विवाह होगा। एक प्रबल नवम भाव दूसरे विवाह के लिए अच्छी स्थिति है पर यदि सातवां भाव अधिक पाप प्रभाव में हो तो वैवाहिक सुख में कमी रहती है। ऐसे में व्यक्ति को ज्योतिषीय उपाय करना सकरात्मक परिणाम देता है।
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कितने दूसरे विवाह सफल होते हैं?
ज्योतिष के अनुसार यदि आपका नवां भाव मजबूत है तो आपका दूसरा विवाह सफल होगा। दूसरे विवाह की सफलता आपकी कुंडली पर निर्भर है। व्यवहारिक तौर पर, कुंडली में दूसरा विवाह तभी होता है जब पहला विवाह टूट जाए। इसका अर्थ यह हुआ कि आपका सांतवा भाव पीड़ित है। सातवें भाव के पाप प्रभाव में होने से वैवाहिक सुख में कमी आती है। दूसरा विवाह का सुख तभी मिलेगा जब आपका नवां भाव सातवें भाव से मजबूत हो। कुंडली विश्लेषण से पता चलता है कि आपका दूसरा विवाह सफल होगा या नहीं।
विवाह के लिए ज्योतिषीय उपाय
गुरु मंत्र: गुरु मंत्र का जप करना विवाह के लिए फायदेमंद होता है।
मंगल मंत्र: मंगल मंत्र का जप भी विवाह में शुभ फल प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
गायत्री मंत्र: गायत्री मंत्र का जप विवाह से संबंधित समस्याओं को दूर कर सकता है।
शुक्र मंत्र: शुक्र मंत्र का जप शुक्र ग्रह की दशा में आने वाली विवाह संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
कुंडली मिलान: विवाह के लिए कुंडली मिलान करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह विवाह से संबंधित समस्याओं को पहले से ही दूर कर सकता है।
दान: विवाह संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए धान, गुड़, घी, सफेद कपड़े आदि दान करना एक उपाय हो सकता है।
रत्न धारण: रत्नों से विवाह समस्याएं दूर हो सकती हैं। यह रत्न आपकी जन्म राशि और लग्न के अनुसार चुना जाता है।
व्रत: विवाह संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए विभिन्न व्रत रखे जाते हैं जैसे संतोषी माता व्रत, सोमवार व्रत, शनि व्रत, शुक्रवार व्रत आदि।
कुंडली विवाह के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, यह आपके वैवाहिक जीवन, दूसरी शादी योग, करियर, व्यवसाय आदि को परिभाषित करती है।
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