कुंडली में तलाक के योग- कब, कैसे और इसका निवारण
तलाक आज के युवा दम्पत्तियों के लिए एक नयी समस्या बनती जा रही है। आधिनिक जीवन शैली, आत्म निर्भरता और समर्पण की भावना के अभाव में दंपत्ति समझौता करने से बेहतर अलग हो जाना ठीक समझते हैं। आपकी कुंडली से आपके वैवाहिक जीवन की पूरी जानकारी ली जा सकती है। यदि कुंडली में तलाक योग हो तो समय रहते ज्योतिषीय सलाह व उपायों से आप इसे सुधार सकते हैं अन्यथा आपको वैवाहिक सुख से वंचित रहना पड़ सकता है क्यूंकि यदि कुंडली में तलाक का योग है तो आप चाहे कितने ही विवाह करें आप इस तलाक योग के उपायों को करे बिना, सफल नहीं होंगें।
आइये जानते हैं कुंडली में तलाक के योग कब बनते हैं, कौन से ग्रह वैवाहिक सुख को भंग करते हैं, और तलाक के योग से कैसे बचा जा सकता है।
कुंडली में तलाक योग
कुंडली का सप्तम भाव विवाह का मुख्य भाव होता है। इस भाव पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव यह संकेत देता है कि दाम्पत्य सुख में किसी प्रकार की कमी रहेगी। अब यदि सप्तम भाव के पीड़ित होने के साथ हमें निम्न ज्योतिषी संकेत भी मिलें तो निश्चित रूप से कुंडली में तलाक योग बनता है :
- अगर कुंडली में लग्नेश, सप्तमेश, या चंद्रमा विपरीत स्थिति यानि 2-12 या 6-8 की स्थिति में हो, तो तलाक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- जब सप्तम भाव या चतुर्थ भाव का स्वामी छठे या बारहवें भाव में होता है, तो पति-पत्नी के बीच अलगाव की स्थिति बनती है, जो तलाक के योग को बढ़ाता है।
- यदि सूर्य, राहु, या शनि सातवें भाव में हो, और शुक्र भी सम्मिलित हो, तो भी तलाक के योग बनते हैं।
- सप्तमेश और बारहवें भाव के स्वामियों का परिवर्तन योग हो तो भी तलाक योग बनता है।
- यदि चतुर्थ भाव पीड़ित हो तो गृहस्थ सुख में बाधा आती है।
- अगर जन्म कुंडली में शुक्र किसी पापी ग्रह के साथ छठे, आठवें, या बारहवें स्थान में स्थित हो तो विवाह भंग हो सकता है।
- अगर कुंडली में प्रेम का कारक ग्रह, शुक्र, नीच या वक्री अवस्था में ट्रिक भाव में बैठे, तो यह अलगाव का संकेत है।
- अगर सप्तमेश छठे या आठवें भाव के स्वामी के साथ युति करता है और उस पर पाप प्रभाव हो, तो भी अलगाव हो सकता है।
- यदि शनि या राहु, पीड़ित अवस्था या किसी बुरे भाव के स्वामी हो कर लग्न में स्थित हो तो तलाक के प्रबल योग बनते हैं।
- अगर सप्तमेश वक्री या दुर्बल हो, तो भी अलगाव होता है।
ज्योतिष में तलाक या विवाह भंग में ग्रहों की भूमिका
ज्योतिष में पाप ग्रह सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु अधिकांशतया तलाक की स्थिति उत्पन्न करते हैं।
ज्योतिष में सूर्य और तलाक का योग:
सूर्य ग्रह गर्म प्रकृति का ग्रह है और अहंकार व ना झुकने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। यदि किसी व्यक्ति की जन्मपत्रिका में सूर्य या उसके राशि स्वामी का सम्बन्ध पहले या सातवें भाव से बन जाये तो तलाक का कारण/ DIVORCE REASON बन सकता है।
तलाक का निर्धारण केवल सूर्य की स्थिति से ही नहीं होता। यदि सूर्य मित्र राशि में है, तो वहाँ संघर्ष तो रहेगा, जीवन साथी एक-दूसरे को दोष या गर्म शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन अंत में तलाक नहीं होता। शुक्र ग्रह की स्थिति भी महत्वपूर्ण है। विवाह मामलों में निर्णय लेते समय, नवमांश (डी-9) चार्ट का भी बहुत महत्व होता है। किसी भी निर्णय से पहले, ज्योतिषीय सलाह आवश्यक है।
ज्योतिष में मंगल और तलाक का योग:
कुंडली में मंगल दोष हो तो भी वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं। मंगल को झगड़े का ग्रह माना गया है इसलिए जब यह सातवें भाव या लग्न में हो तो शारीरिक और मौखिक झगड़े करवाता है। नवमांश को भी देखना आवश्यक है। कुंडली में संपत्ति विवाद भी मंगल से देखा जाता है। मंगल घरेलु हिंसा का संकेत देता है कुंडली से आप जान सकते है कि क्या लड़की को शारीरिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ेगा? यदि मंगल कुंडली में राजयोग कारक है या शुभ स्थिति में है सुखी वैवाहिक जीवन भी देता है। मंगल ग्रह आपके अंदर का “उत्साह” है और यदि यह ठीक स्थिति में है तो यह आपको अपने जीवन साथी व सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रेरित करेगा।
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ज्योतिष में शनि और तलाक के योग:
शनि संदेह की स्थिति देता है। यदि यह लग्न या सातवें भाव से सम्बंधित हो तो यह व्यक्ति को संदिग्ध स्वभाव का बना देता है जिससे वह हमेशा अपने जीवन साथी पर संदेह करता है। शनि वैवाहिक असंतुष्टि देता है। जीवन साथी अचानक ही एक दुसरे से लड़ते हैं। शनि दीर्घ कालिक प्रभाव देता है कभी-कभी यह जीवन भर अलगाव की स्थिति देता है, कोई आधिकारिक तलाक नहीं होता और साथी अलग रहते हैं। शनि गलतफहमी दे धीरे-धीरे झगड़े, परेशानियां और अंत में तलाक देता है।
ज्योतिष में राहु और तलाक के योग:
राहु अलगाववादी ग्रह है, यह धुएं के सामान प्रभाव देता है। व्यक्ति साफ़ तस्वीर नहीं देख पाता। राहु कभी भी संतुष्ट नहीं होता और यदि यह लग्न या सातवें भाव से जुड़ा हो तो व्यक्ति अपने साथी से हमेशा असंतुष्ट रहता है। वह लंबे समय तक किसी एक रिश्ते में नहीं रह पाता। राहु शारीरिक असंतुष्टि के कारण तलाक देता है।
ज्योतिष में केतु और तलाक के योग:
केतु सांसारिक ग्रह नहीं है यह भौतिकता और सांसारिक सुखों को समाप्त कर देना चाहता है। यह लग्न या सातवें भाव में विवाह के प्रति अनिच्छा देता है। सेक्स लाइफ सीमित होती है जो संतान प्राप्ति के बाद बिलकुल ख़तम हो जाती है और वे एक-दूसरे से अलग रहने लगते हैं। केतु जीवन साथी को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी देता है जो कई बार तलाक का कारण बनता है।
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कुंडली में तलाक योग को कैसे दूर किया जाये?
कुंडली में तलाक योग को दूर करने का प्रभावी उपाय है विषय की गंभीरता को समझना और एक अनुभवी व योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेना। आपकी कुंडली/kundli के आधार पर आपके लिए भिन्न भिन्न उपाय रहेंगें। भगवान् हनुमान व भगवान्की विष्णु की आराधना एक प्रभावी उपाय है जिसे आप सभी कर सकते हैं पर एक सटीक उपाय के लिए कुंडली विश्लेषण आवश्यक है। कर्मा करेक्शन या आपके दिनचर्या में सुधार के द्वारा बहुत हद तक सकारात्मक परिणाम पाए जा सकते हैं। किसी भी उपाय को बिना ज्योतिषीय सलाह के ना करें व सही ज्योतिषीय मार्गदर्शन प्राप्त कर अपने वैवाहिक जीवन को सफल बनाएं।