Health Prediction Archives - KundliHindi https://kundlihindi.com/tag/health-prediction/ My WordPress Blog Thu, 24 Oct 2024 12:15:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://i0.wp.com/kundlihindi.com/wp-content/uploads/2022/11/cropped-kundlihindi.png?fit=32%2C32&ssl=1 Health Prediction Archives - KundliHindi https://kundlihindi.com/tag/health-prediction/ 32 32 214685846 धनतेरस पर आर्थिक वृद्धि के लिए ज्योतिषीय उपाय https://kundlihindi.com/blog/astrological-remedies-for-economic-growth-on-dhanteras/ https://kundlihindi.com/blog/astrological-remedies-for-economic-growth-on-dhanteras/#respond Thu, 24 Oct 2024 12:15:00 +0000 https://kundlihindi.com/?p=3114 धनतेरस का त्योहार हर साल दीपावली से पहले आता है और इसे समृद्धि और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन लोग सोना, चांदी, बर्तन, और अन्य धातुएं खरीदते हैं ताकि उनके घर में सौभाग्य और समृद्धि आए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस पर ज्योतिषीय उपाय...

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धनतेरस का त्योहार हर साल दीपावली से पहले आता है और इसे समृद्धि और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन लोग सोना, चांदी, बर्तन, और अन्य धातुएं खरीदते हैं ताकि उनके घर में सौभाग्य और समृद्धि आए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस पर ज्योतिषीय उपाय भी आपके वित्तीय भविष्य को सुधार सकते हैं? आइए जानते हैं कुछ प्रभावी ज्योतिषीय उपाय जो धनतेरस 2024 के दिन किए जा सकते हैं, ताकि आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो और आपका धन बढ़े। इस वर्ष धनतेरस पर त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को 12:01 बजे प्रारम्भ होगी तथा 30 अक्टूबर को 2:45 बजे समाप्त होगी।

1. कुंडली में दोषों का निवारण:

धन से जुड़े ग्रह, विशेषकर शुक्र और चंद्रमा की स्थिति अगर कमजोर हो तो आर्थिक समस्याएं आती हैं। धनतेरस के दिन कुंडली का विश्लेषण कराकर इन दोषों का समाधान कराएं। इसके लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लें और उनके बताए उपायों का पालन करें।

2. लक्ष्मीकुबेर पूजा:

धनतेरस के दिन लक्ष्मी और कुबेर की संयुक्त पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं और भगवान कुबेर धन के संरक्षक माने जाते हैं। इस पूजा के दौरान श्रीसूक्त का पाठ करें और सफेद कपड़े पहनकर पूजा करें ताकि माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहे।

3. धनवृद्धि के लिए पंचमुखी दीपक:

धनतेरस की शाम को घर के मुख्य द्वार पर पंचमुखी दीपक जलाएं। यह दीपक घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और धन की वृद्धि के मार्ग खोलता है। साथ ही, इस उपाय से घर में लक्ष्मी का स्थाई वास होता है।

4. शंख और कौड़ी का उपाय:

धनतेरस पर पीले रंग की कौड़ी और शंख का विशेष महत्व होता है। पूजा के दौरान इनका इस्तेमाल करें और पूजा के बाद इन्हें अपने तिजोरी या अलमारी में रखें। इससे घर में आर्थिक संपन्नता और समृद्धि आती है।

5. कुबेर यंत्र की स्थापना:

धनतेरस के दिन घर में कुबेर यंत्र की स्थापना करें। इस यंत्र को घर में रखने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और आय में वृद्धि होती है। इसे उत्तर दिशा में रखें, क्योंकि उत्तर दिशा कुबेर की दिशा मानी जाती है।

6. अष्टलक्ष्मी मंत्र का जाप:

धनतेरस के दिन 108 बार अष्टलक्ष्मी मंत्र का जाप करें। यह मंत्र विशेष रूप से धन और समृद्धि के लिए प्रभावी होता है। मंत्र का सही उच्चारण और श्रद्धा से जाप करने से धन आगमन के नए स्रोत बनते हैं।

7. वास्तु दोष निवारण:

धनतेरस पर घर में वास्तु दोषों का निवारण भी करें। घर में अगर कोई वास्तु दोष होता है तो उसका सीधा प्रभाव आपकी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। इस दिन घर की सफाई और सजावट का विशेष ध्यान दें।

8. गोमती चक्र का प्रयोग:

धनतेरस के दिन गोमती चक्र की पूजा करना भी बहुत ही लाभकारी होता है। इसे तिजोरी या धन रखने की जगह पर रखें। माना जाता है कि इससे धन की कमी कभी नहीं होती और आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।

9. हल्दी और चंदन का उपाय:

धनतेरस पर चंदन और हल्दी का उपयोग अत्यधिक शुभ माना जाता है। लक्ष्मी पूजन में चंदन और हल्दी का टीका लगाकर पूजा करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धनधान्य की वृद्धि होती है।

10. धातु की खरीदारी:

धनतेरस पर सोना, चांदी, या किसी अन्य धातु की खरीदारी अवश्य करें। यह केवल शुभ मानी जाती है, बल्कि इससे आपकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। ज्योतिष अनुसार, धातु खरीदने से सकारात्मक ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है और वित्तीय स्थिरता आती है।

समाप्ति:

धनतेरस/ Dhanteras 2024 पर इन ज्योतिषीय उपायों का पालन करने से आपको धन और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। साथ ही, ज्योतिषीय परामर्श लेकर कुंडली में दोषों का निवारण कराएं, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति में और अधिक सुधार हो सके। ज्योतिषीय उपायों के साथसाथ आपकी मेहनत और विश्वास भी आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आप व्यापार में सफलता के लिए ज्योतिषीय उपाय सलाह ले सकते हैं।

इस धनतेरस पर इन उपायों को अपनाएं और आर्थिक समृद्धि का स्वागत करें।

किसी भी विशिष्ट मुद्दे के लिए, मेरे कार्यालय @ +91 9999113366 से संपर्क करें। भगवान आपको एक खुशहाल जीवन आनंद प्रदान करें।

और भी पढ़ें: जन्म कुंडली से जानें अपना स्वास्थ्य पूर्वानुमान

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श्रावण माह करता है मांगलिक दोषों का नाश मिलता है दांपत्य जीवन का सुख https://kundlihindi.com/blog/shravan-month-se-manglik-dosha-khatam/ https://kundlihindi.com/blog/shravan-month-se-manglik-dosha-khatam/#respond Wed, 24 Jul 2024 08:30:14 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2692 श्रावण माह के समय पर विवाह जैसे सुख की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले अनुष्ठान बेहद ही उपयोगी माने गए हैं। सावन माह का समय शास्त्रों के अनुसार बेहद विशेष समय माना गया है क्योंकि इस माह के दौरान भगवान शिव का पूजन तो मुख्य होता ही है, साथ ही इस समय पर विवाह...

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श्रावण माह के समय पर विवाह जैसे सुख की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले अनुष्ठान बेहद ही उपयोगी माने गए हैं। सावन माह का समय शास्त्रों के अनुसार बेहद विशेष समय माना गया है क्योंकि इस माह के दौरान भगवान शिव का पूजन तो मुख्य होता ही है, साथ ही इस समय पर विवाह इत्यादि मांगलिक सुखों की प्राप्ति के लिए उत्तम होता है, क्योंकि इसी माह के दौरान जहां श्रावण सोमवार के व्रत किए जाते हैं, वहीं इस समय पर मंगला गौरी पूजन, तीज, हरियाली तीज एवं शिवरात्रि का समय होता है. इन सभी पर्वों का आगमन इस सावन माह में होता है और इन सभी व्रत एवं त्यौहारों का महत्व विवाह सुख एवं दांपत्य जीवन के सुख को प्रदान करने के लिए भी बेहद विशेष होते हैं


सावन सोमवार व्रत देते हैं मांगलिक सुख 


ह्रौं महाशिवाय वरदाय ह्रीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय ह्रौं नमः:

 

सावन माह के दौरान आने वाले सोमवान सोमवार के व्रत का समय विवाह के सुख की प्राप्ति के लिए बहुत उत्तम माना गया है. शास्त्रों में मौजूद प्रमाण इस बात की पुष्टि करते हैं की सावन में रखे जाने वाले सोमवार के व्रत एवं इस दिन से सोमवार के व्रत का आरंभ करना भी उत्तम माना गया है. यदि आप सोमवार के व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं तो उसके लिए भी यह समय विशेष है और इस दिन से सोमवार के व्रत सोलह सोमवार व्रतों का शुभारंभ किया जा सकता है. सोलह सोमवार व्रत को मनपसंद जीवन साथी की प्राप्ति के लिए किया जाता है



शिवपुराण, लिंग पुराण इत्यादि में सावन माह की विशेषता का वर्णन मिलता है


सावन माह का विवाह ज्योतिष में महत्व 


भं भवाय देव देवाय सर्व कार्य सिद्धिं देहि देहि कामेश्वराय भं नमः



विवाह ज्योतिष के अनुसार अपने जीवन में मनपसंद जीवन साथी की प्राप्ति के लिए और अपने शीघ्र विवाह के लिए सावन माह में आने वाले सावन सोमवार के दिन पूजा एवं व्रत करना बहुत महत्वपूर्ण उपाय होते हैं. इन ज्योतिषीय उपायों को करके व्यक्ति अपने लिए एक योग्य जीवन साथी की तलाश को पूरा कर सकता है. 16 सावन सोमवार कथा के अनुसार विवाह सुख एवं जीवन साथी की दीर्घायु का आशीर्वाद पाना संभव होता है



सावन माह को श्रावण माह के नाम से भी पुकारा जाता है जिसका महत्व शास्त्रों में विशेष रहा है यह वह समय है जब आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है तथा जीवन के सुखों की प्राप्ति का संभव होती है. इस समय को भगवान शिव एवं शक्ति के उपासक बहुत विशेष रुप से मनाते हैं पुराण अनुसार सावन का समय भगवान शिव को अत्यंत प्रिय रहा है. इस माह के दौरान श्रवण नक्षत्र का पूजन भी विशेष होता है, चंद्रमा, सूर्य, मंगल, शनि इत्यादि ग्रहों की शुभता के लिए भी इस माह की स्थिति अनुकूल मानी गई है



सावन माह पूजन से विवाह में देरी होती है दूर

 

विवाह में यदि बार बार होने वाली देरी के चलते कई तरह के तनाव एवं मानसिक चिंताएं व्यक्ति को परेशानी में डालने वाली होती हैं. ज्योतिष अनुसार विवाह में देरी के कई कारण हो सकते हैं. कुंडली में सप्तम भाव का कमजोर होना, पाप ग्रहों से प्रभावित होना इत्यादि स्थिति के चलते विवाह में किसी किसी कारण से देरी होती चली जाती है. ऎसे में कुंडली के इन योगों को शुभ करने एवं सप्तम भाव की स्थिति को शुभ बनाने हेतु सावन माह का समय काफी सहायक बनता है. सावन माह के समय विभिन्न प्रकार के पूजा, अनुष्ठान, मंत्र इत्यादि से कुंडली के खराब योग अनुकूल किए जा सकते हैं


शास्त्रों में वर्णित है की देवी सती ने भगवान शिव को पाने हेतु जब कठोर तप किया तब भगवान शिव ने उन्हें अपनी जीवन संगनी के रुप में स्वीकार किया और इसी कारन सावन में तीज जैसे पर्वों का महत्व विशेष होता है इस समय पर यदि विवाह में किसी भी तरह कि देरी को दूर कर पाना संभव माना गया है. इसलिए सावन माह के दौरान कई तरह के उपवास, मंत्र एवं शिव पार्वती पूजन को करने का विधान भी रहा है जो एक अच्छे सुखी वैवाहिक जीवन का आधार भी बनता है.

 

सावन माह: लव मैरिज की समस्या को करता है दूर 

 

भगवान शिव के साथ माता पार्वती का संबंध बनाता है प्रेम विवाह का आधार माना गया है. देवी सती ने जब पुन: जन्म लिया पार्वती रुप में तो उन्होंने भगवान शिव को अपना जीवन साथी पाने की इच्छा की पूर्ति के लिए वर्षों तक कठोर तप किया ऎसे में अपने शास्त्रों के अनुसार सावन माह के दौरान ही भगवान ने देवी पार्वती को अपने जीवन साथी के रुप में पाया था, इसी कारण इस माह के प्रत्येक दिन के साथ साथ कुछ विशेष तिथियों का समय विवाह के सुख को पाने के साथ साथ लव मैरिज के होने की संभावनाओं को बढ़ा देने वाला माना गया है


इस समय पर सावन के सोमवार का समय, सावन के मंगलवार का समय, सावन गुरुवार का समय, सावन की तृतीया तिथि का समय, एकादशी का समय, सावन प्रदोष का समय एवं सावन शिवरात्रि से लेकर सावन की पूर्णिमा का समय विशेष तिथियों का योग बनाता है. इन समय पर किए जाने वाले ज्योतिषीय उपाय भी कारगर सिद्ध होते हैं

 

कुंडली में मंगल दोष, विवाह में देरी या दांपत्य जीवन से संबंधित कोई भी परेशानी है तो सावन माह के दौरान इन सभी चिंताओं से मुक्ति पाना संभव है. श्रावण माह में ज्योतिष परामर्श और उचित उपायों द्वारा लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं

 

इसके बारे में और पढ़ें: स्वास्थ्य भविष्यवाणी | कुंडली मिलान

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सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम्- परम कल्याणकारी व सौभाग्यवर्धक स्त्रोत्र https://kundlihindi.com/blog/kunjika-stotram/ https://kundlihindi.com/blog/kunjika-stotram/#respond Wed, 10 Apr 2024 07:26:21 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2645 हमारे वैदिक ग्रंथों में अनेकों ऐसे पाठ और स्त्रोतों का वर्णन है जो हमें चमत्कारिक परिणाम प्रदान करते हैं। ऐसा ही एक स्त्रोत है – सिद्ध कुंजिका स्त्रोत। अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में जो विशेष रूप से माँ दुर्गा से सम्बंधित है, उनमें सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के पाठ का विधान है।  यह एक अत्यंत शुभ फल...

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हमारे वैदिक ग्रंथों में अनेकों ऐसे पाठ और स्त्रोतों का वर्णन है जो हमें चमत्कारिक परिणाम प्रदान करते हैं। ऐसा ही एक स्त्रोत है – सिद्ध कुंजिका स्त्रोत। अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में जो विशेष रूप से माँ दुर्गा से सम्बंधित है, उनमें सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के पाठ का विधान है।  यह एक अत्यंत शुभ फल प्रदायी स्त्रोत है और प्रमुख दुर्गा माता के अनुष्ठानों से पहले इसे पढ़ा जाता है। इस स्त्रोत को भगवान शिव ने देवी पार्वती को सिखाया था और इसे एक गुप्त स्त्रोत के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का एक पाठ हमें  संपूर्ण चंडिका पाठ को पढ़ने के बराबर शुभ परिणाम देती है। ऐसा भी माना जाता है कि सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के पाठ के बिना यदि चंडिका पाठ किया जाए तो यह पूर्ण परिणाम नहीं देता है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से आशीर्वाद और समृद्धि मिलती है, जो किसी भी संघर्ष में साहस और उत्तेजना देता है। यह स्तोत्र मां दुर्गा की कृपा को आकर्षित करता है और व्यक्ति को संघर्षों और अड़चनों से मुक्ति दिलाता है। गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र व्यक्ति के जीवन में स्थितियों को सुधारता है और उसे मां की कृपा से आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सिद्धकुंजिका स्त्रोत व वैवाहिक जीवन में समृद्धि

सिद्धकुंजिका स्त्रोत का पठन करने से वैवाहिक जेवण में समृद्धि आती है। इस स्त्रोत का सम्बन्ध भगवान् शिव और देवी पार्वती जी से है, इसके पठन से विवाह में यदि विलम्ब आ रहा हो तो दूर होता है और साथ ही साथ वैवाहिक रिश्तों में मधुरता आती है। सिद्धकुंजिका स्त्रोतम का पाठ करने से विवाह में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

सिद्धकुंजिका स्त्रोतम के महत्व को समझने के लिए हमें देवी दुर्गा की महिमा को समझना आवश्यक है। देवी दुर्गा हिंदू धर्म की मां शक्ति का प्रतीक हैं, जो सभी समस्याओं को दूर करने वाली हैं। सिद्धकुंजिका स्त्रोतम उनकी कृपा को प्राप्त करने का एक उपाय है। इसके माध्यम से ध्यान और पूजा करने से दुर्गा माता विवाह में समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

इस प्रकार, सिद्धकुंजिका स्त्रोतम विवाह संस्कार में समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है और इसे नियमित रूप से पाठ करने से विवाहित जोड़े के बीच खुशहाली और सुख का संचार होता है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम् के शब्द निम्नलिखित हैं:

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

ह्रीं क्लीं ऐं

नमः श्रीं ऐं विजय विभवायै नमः।

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

ऐं क्लीं ह्रीं सौ:

नमः श्रीं ऐं सद्य बलायै नमः।

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

ह्रीं क्लीं ऐं सर्वजन प्रियायै नमः।

नमः श्रीं ह्रीं ऐं विश्व जनन्यै नमः।

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

ऐं क्लीं ह्रीं हुं फट् स्वाहा

नमः श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महारौद्र्यै नमः।

यह स्तोत्र समस्त संकटों के निवारण और अच्छे भाग्य की प्राप्ति के लिए जाना जाता है।

Read more about: Free कुंडली | Free कुंडली मिलान | Health Prediction

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जन्म कुंडली को चरण दर चरण कैसे पढ़ें https://kundlihindi.com/blog/janam-kundli-ko-step-by-step-kaise-padhe/ https://kundlihindi.com/blog/janam-kundli-ko-step-by-step-kaise-padhe/#respond Tue, 12 Mar 2024 11:21:53 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2625 ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली को बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। हमारी जन्म कुंडली के माध्यम से हम अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जान सकते हैं। जन्म कुंडली हमें अपने अच्छे और कठिन समय के बारे में अवगत करवाती है। इसके माध्यम से हमारे जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं...

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ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली को बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। हमारी जन्म कुंडली के माध्यम से हम अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जान सकते हैं। जन्म कुंडली हमें अपने अच्छे और कठिन समय के बारे में अवगत करवाती है। इसके माध्यम से हमारे जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने में मदद कर मिलती है। एक अनुभवी ज्योतिषी या विशेषज्ञ जन्म कुंडली का गहन विश्लेषण कर सकता है लेकिन आप स्वयं भी अपनी कुंडली की जांच कर सकते हैं। आज हम कुंडली पढ़ने के कुछ सरल और आसान नियम आपके साथ साझा करेंगे, जिसके बाद आप स्वयं अपनी कुंडली की जांच कर सकते हैं। ध्यान रखें कि व्यक्तिगत और विस्तृत अध्ययन के लिए, किसी ज्योतिषी से परामर्श करना सबसे अच्छा है।

पहला और आवश्यक कदम

अपनी ऑनलाइन मुफ़्त कुंडली बनाने के लिए kundlihindi.com पर  जाएं और ज्योतिष सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें। आपको वहां दिए गए टैब में अपना जन्म विवरण जैसे अपनी जन्मतिथि, जन्म का समय और जन्म स्थान प्रदान करना होगा। जैसे ही आप अपनी जन्म तिथि डालेंगे उसके तुरंत बाद ही आपकी जन्म कुंडली/Natal Chart तैयार होकर आपके समक्ष प्रस्तुत हो जाएगी। अब, आप जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए इस जन्म कुंडली का उपयोग कर सकते हैं।

जन्म कुंडलीएक संक्षिप्त अवलोकन

जन्म कुंडली में बारह घर/भाव होते हैं, जिनमें से प्रत्येक घर जीवन के एक अलग पहलू को दर्शाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 12 राशियां और नौ ग्रह होते हैं। विभिन्न घरों और राशियों में ग्रहों की स्थिति के आधार पर, हम यह समझ सकते हैं कि जन्म कुंडली जीवन के एक विशिष्ट पहलू के बारे में क्या कहती है। कुंडली के 12 भाव विभिन्न बातों को दर्शाते हैं:

  • प्रथम भाव- आपका व्यक्तित्व
  • दूसरा भाव- आपका धन, वाणी, भोजन और परिवार
  • तीसरा घर- आपके भाई-बहन, यात्रा, कौशल और प्रतिभा
  • चतुर्थ भाव- आपका घर, वाहन और जीवन में सुख
  • पंचम भाव- आपकी बुद्धि, रचनात्मकता, संतान और मनोरंजन
  • छठा घर – आपके ऋण, प्रतिस्पर्धी, रोग, मातृ पक्ष
  • सातवां घर- आपका जीवनसाथी, विवाह, साझेदारी और बाहरी दुनिया
  • आठवां घर – आपके दुख, अचानक घटनाएं, विरासत, अनर्जित धन
  • नवम भाव- आपका भाग्य, धर्म, लंबी यात्राएं, पिता, शिक्षक, गुरु
  • दसवां घर – आपका करियर, प्रतिष्ठा, स्थिति, शक्ति
  • एकादश भाव- आपका सामाजिक दायरा, इच्छाएं, लाभ
  • बारहवां घर- आपकी हानि, खर्च, गुप्त शत्रु और मोक्ष

विवाह के लिए जन्म कुंडली

जन्म कुंडली किसी के वैवाहिक जीवन के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती है, जिसमें उनके जीवनसाथी के बारे में जानकारी भी शामिल है। कुंडली का सप्तम भाव विवाह का प्रतिनिधित्व करता है, और इस भाव में स्थित राशि और ग्रह किसी व्यक्ति के विवाहित जीवन के बारे में महत्वपूर्ण सूचना देते हैं। यदि यह भाव पीड़ित हो या ग्रहों के अशुभ प्रभाव में हो तो विवाह में समस्या आ सकती है। सप्तम भाव में विभिन्न ग्रहों का प्रभाव अलग-अलग होता है और प्रत्येक ग्रह की स्थिति अलग-अलग परिणाम देती है।

आइए जानते हैं कि सप्तम भाव में स्थित अलग अलग ग्रहों का क्या मतलब होता है:

– सूर्य: मजबूत व्यक्तित्व और रिश्तों में गतिशील बातचीत।

– चंद्रमा: भावनात्मक संवेदनशीलता और साझेदारियाँ जो बदल सकती हैं।

– बुध: अच्छा संचार कौशल, लेकिन रिश्ते अस्थिर हो सकते हैं।

– शुक्र: साझेदारी में सद्भाव और प्यार।

– मंगल: भावुक रिश्ते, लेकिन कभी-कभी वे विवादास्पद हो सकते हैं।

– बृहस्पति: लाभकारी और सहायक साझेदारियाँ।

– शनि: रिश्ते जो चुनौतियों और सबक के साथ आते हैं।

– राहु: अपरंपरागत रिश्ते और अप्रत्याशित घटनाएं।

– केतु: साझेदारी में कार्मिक संबंध और अलगाव।

आप अपनी निःशुल्क कुंडली ऑनलाइन तैयार कर सकते हैं और अपने वैवाहिक जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए अपनी कुंडली के सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण कर सकते हैं।

करियर के लिए जन्म कुंडली

आपकी जन्म कुंडली आपकी नौकरी और करियर के बारे में बहुत कुछ बताती है। आपकी कुंडली का दसवां घर आपके करियर पथ के बारे में बताता है। इससे पता चलता है कि आपके पास किस तरह की नौकरी हो सकती है। यदि यहां अशुभ ग्रह हों तो आपको करियर में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली के दसवें घर में अलग-अलग ग्रह अलग-अलग परिणाम लाते हैं:

-सूर्य: करियर में सफलता और पहचान।

-चंद्रमा: उतार-चढ़ाव भरा करियर पथ और भावनात्मक संतुष्टि।

-बुध: करियर विकल्पों में बहुमुखी प्रतिभा और अनुकूलनशीलता।

-शुक्र: रचनात्मक गतिविधियाँ और करियर में सामंजस्य।

-मंगल: करियर उपलब्धि के लिए महत्वाकांक्षा और ड्राइव।

-बृहस्पति: करियर के अवसरों में वृद्धि और विस्तार।

-शनि: चुनौतियाँ और सबक जो करियर में सफलता की ओर ले जाते हैं।

-राहु: अपरंपरागत करियर पथ और मान्यता की इच्छा।

-केतु: करियर विकल्पों को प्रभावित करने वाले कर्म संबंधी सबक और सांसारिक सफलता से अलगाव।

आप अपनी निःशुल्क कुंडली ऑनलाइन तैयार कर सकते हैं और अपने करियर से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने दसवें घर में ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण कर सकते हैं।

व्यवसाय के लिए जन्म कुंडली

आपकी जन्म कुंडली में आपके व्यवसाय और करियर की संभावनाओं के बारे में बहुमूल्य जानकारी होती है। कुंडली में सातवां घर आपके व्यावसायिक संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है, और दसवां घर आपकी व्यावसायिक उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है। इन घरों में स्थित ग्रह आपके व्यावसायिक उद्यमों और करियर में उन्नति में संभावित सफलताओं और चुनौतियों का संकेत दे सकते हैं।

यदि इन घरों पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, तो यह आपकी साझेदारी और आकांक्षाओं में कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है। इन घरों में ग्रहों के प्रभाव को समझने से आपको अपने भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानकारी मिल सकती है। आपकी जन्म कुंडली संभावित सफलताओं और चुनौतियों सहित आपके व्यावसायिक प्रयासों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है। कुंडली में सातवां घर साझेदारी और व्यावसायिक संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है, जो आपके व्यावसायिक उद्यमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इस घर में स्थित राशियाँ और ग्रह आपकी व्यावसायिक साझेदारी और सहयोग के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रकट करते हैं।

इसी तरह, कुंडली में दसवां घर आपके करियर और सार्वजनिक छवि के लिए महत्वपूर्ण है, जो आपकी व्यावसायिक उपलब्धियों और आकांक्षाओं पर प्रकाश डालता है। यदि इनमें से कोई भी घर अशुभ ग्रहों से नकारात्मक रूप से प्रभावित है, तो आपकी व्यावसायिक साझेदारी और करियर आकांक्षाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इन घरों में विभिन्न ग्रहों के प्रभाव अलग-अलग होते हैं, जो व्यावसायिक उद्यमों और करियर में उन्नति के लिए अलग-अलग परिणाम देते है, जैसे

– सूर्य: व्यावसायिक साझेदारी में नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करता है

– चंद्रमा: व्यापारिक रिश्तों में भावनात्मक उतार-चढ़ाव से जुड़ा है

– बुध: व्यावसायिक सहयोग में संचार कौशल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

– शुक्र: साझेदारी में सद्भाव और रचनात्मकता लाता है

– मंगल: महत्वाकांक्षा और गठबंधनों में सफलता की प्रेरणा से जुड़ा है

– बृहस्पति: व्यावसायिक साझेदारी में वृद्धि और विस्तार का प्रतिनिधित्व करता है

– शनि: व्यावसायिक गठबंधनों के साथ आने वाली चुनौतियों और सबक का संकेत देता है

– राहु: व्यावसायिक साझेदारी के लिए अपरंपरागत दृष्टिकोण का प्रतीक है

– केतु: कर्म पाठ का प्रतिनिधित्व करता है जो व्यावसायिक सहयोग को प्रभावित करता है।

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