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]]>विवाह हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हर कोई चाहता है कि उसे एक ऐसा जीवनसाथी मिले जो न केवल उसकी भावनाओं को समझे बल्कि जीवनभर साथ निभाए। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम पहले से जान सकते हैं कि हमें कैसा जीवनसाथी मिलेगा और विवाह के बाद लाइफ कैसी रहेगी? इसका उत्तर छिपा है आपकी जन्मकुंडली में।
जन्मकुंडली से जीवनसाथी कैसा होगा — यह जानने के लिए ज्योतिष में मुख्य रूप से 7वें भाव का अध्ययन किया जाता है। 7वां भाव विवाह, जीवनसाथी और साझेदारी का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव के स्वामी ग्रह, उस पर दृष्टि डालने वाले अन्य ग्रह और वहां स्थित ग्रह, यह सब मिलकर आपके जीवनसाथी के स्वभाव, प्रकृति, आर्थिक स्थिति, शिक्षा और स्वास्थ्य के बारे में संकेत देते हैं।
अगर 7वें भाव में शुभ ग्रहों का प्रभाव हो, जैसे कि बृहस्पति, शुक्र या चंद्रमा, तो जीवनसाथी स्नेही, समझदार और सहयोगी होता है। वहीं, यदि अशुभ ग्रहों जैसे राहु, केतु, शनि या मंगल का प्रभाव हो तो वैवाहिक जीवन में चुनौतियाँ आ सकती हैं।
डॉ. विनय बजरंगी के अनुसार, कुंडली का गहरा विश्लेषण करके न केवल जीवनसाथी के गुणों का अनुमान लगाया जा सकता है बल्कि यह भी जाना जा सकता है कि विवाह के बाद जीवन में सुख–संपन्नता आएगी या नहीं।
सिर्फ जीवनसाथी कैसा होगा यह जानना ही काफी नहीं है। यह भी जानना जरूरी है कि विवाह के बाद जीवन कैसा रहेगा। इसके लिए कुंडली में 2वें, 4वें, 7वें और 8वें भाव का विश्लेषण किया जाता है:
· 2वां भाव दर्शाता है परिवार का सुख।
· 4वां भाव दिखाता है गृहस्थ जीवन की शांति और सुख–सुविधा।
· 7वां भाव सीधा जीवनसाथी और वैवाहिक संबंधों को दर्शाता है।
· 8वां भाव दीर्घकालीन संबंधों और जीवन में आने वाले बड़े परिवर्तनों का प्रतीक है।
यदि इन भावों पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो विवाह के बाद जीवन प्रेम, समझदारी और खुशियों से भरा होता है। वहीं, अगर इन भावों पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो या ग्रहों की दशा प्रतिकूल हो, तो वैवाहिक जीवन में उतार–चढ़ाव आ सकते हैं।
डॉ. विनय बजरंगी का कहना है कि सही समय पर कुंडली का विश्लेषण करवा कर व्यक्ति पहले से ही जीवन में आने वाली चुनौतियों का समाधान निकाल सकता है। विवाह से पहले कुंडली मिलान(Match making) से यह निश्चित किया जा सकता है कि दो व्यक्तियों का संबंध कितना स्थायी और सफल रहेगा।
1. गजकेसरी योग – जीवनसाथी अत्यंत समझदार और समृद्ध होता है।
2. विष योग – वैवाहिक जीवन में तनाव आ सकता है।
3. राजयोग – यदि जीवनसाथी की कुंडली में राजयोग हो, तो वह उच्च पद पर पहुँच सकता है।
4. मंगल दोष – विशेष ध्यान देने योग्य है, क्योंकि यह वैवाहिक जीवन में संघर्ष बढ़ा सकता है।
यदि आप चाहते हैं कि आपकी शादी सफल और सुखमय हो, तो जन्मकुंडली का विश्लेषण कराना बहुत जरूरी है। डॉ. विनय बजरंगी न केवल आपकी कुंडली का गहरा अध्ययन करते हैं, बल्कि सरल भाषा में समाधान भी बताते हैं। चाहे वह जीवनसाथी चुनने का मामला हो या विवाह के बाद जीवन में खुशियाँ बनाए रखने का, उनकी सलाह आपके लिए अमूल्य हो सकती है।
FAQ
Q.1: क्या कुंडली देखकर सही जीवनसाथी का चुनाव किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, कुंडली का विश्लेषण करके यह जाना जा सकता है कि कौन–सा व्यक्ति आपके स्वभाव और भविष्य के साथ मेल खाता है। इससे विवाह के बाद जीवन में संतुलन और सुख बना रहता है।
Q.2: अगर कुंडली में विवाह योग कमजोर हो तो क्या समाधान है?
उत्तर: जी हाँ, ऐसे कई वैदिक उपाय और पूजा–पाठ होते हैं जिनसे कुंडली के दोष दूर किए जा सकते हैं। इसके लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी जैसे डॉ. विनय बजरंगी से सलाह अवश्य लें।
Q.3: जीवनसाथी का कैसा स्वभाव होगा, यह कैसे जान सकते हैं?
उत्तर: जन्मकुंडली का 7वां भाव, उसके स्वामी और दृष्टि डालने वाले ग्रहों का विश्लेषण करके जीवनसाथी के स्वभाव, शिक्षा, आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। मेरे जीवन साथी का व्यक्तित्व कैसा होगा
Q.4: क्या कुंडली मिलान के बिना विवाह करना ठीक है?
उत्तर: कुंडली मिलान विवाह के बाद के जीवन को आसान और खुशहाल बनाने में मदद करता है। बिना कुंडली मिलान के विवाह करने पर बाद में असमानता या समस्याएँ सामने आ सकती हैं।
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली आपके जीवनसाथी और वैवाहिक जीवन के बारे में क्या कहती है, तो एक बार डॉ. विनय बजरंगी से परामर्श अवश्य लें। सही दिशा में उठाया गया कदम आपके भविष्य को संवार सकता है।
किसी भी विशिष्ट मुद्दे के लिए, मेरे कार्यालय @ +91 9999113366 से संपर्क करें। भगवान आपको एक खुशहाल जीवन आनंद प्रदान करें।
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