KundliHindi https://kundlihindi.com/ My WordPress Blog Tue, 23 Apr 2024 06:58:10 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 https://i0.wp.com/kundlihindi.com/wp-content/uploads/2022/11/cropped-kundlihindi.png?fit=32%2C32&ssl=1 KundliHindi https://kundlihindi.com/ 32 32 214685846 कुंडली में कितने दोष होते हैं? https://kundlihindi.com/blog/kundli-me-kaise-dekhe-dosh/ https://kundlihindi.com/blog/kundli-me-kaise-dekhe-dosh/#respond Tue, 23 Apr 2024 06:53:42 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2651 कुंडली दोष – ज्योतिष शास्त्र के दुनिया में लिया जाने वाला एक सामान्य किन्तु गंभीर वाक्य।  जिससे हम सभी भली भांति जागरूक हैं। लेकिन क्या होता है ये कुंडली दोष।  कुछ कुंडली दोष जैसे काल सर्प दोष, पितृ दोष, मांगलिक अथवा मंगल दोष, तो जाने पहचाने दोष हैं, लेकिन इनके इलावा भी एक जातक की...

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कुंडली दोष – ज्योतिष शास्त्र के दुनिया में लिया जाने वाला एक सामान्य किन्तु गंभीर वाक्य।  जिससे हम सभी भली भांति जागरूक हैं। लेकिन क्या होता है ये कुंडली दोष।  कुछ कुंडली दोष जैसे काल सर्प दोष, पितृ दोष, मांगलिक अथवा मंगल दोष, तो जाने पहचाने दोष हैं, लेकिन इनके इलावा भी एक जातक की कुंडली कुछ अहम् दोषों से ग्रसित हो सकती है।  आज इस आर्टिकल में हम कुंडली के अधिकतर दोषों का वर्णन करेंगे एवं आपको बताएंगे इनसे होने वाले प्रभाव।  किस तरह कुंडली के ये दोष आपको और आपसे जुड़े लोगों की ज़िन्दगियों को प्रभावित करते हैं, आज हम इन्ही पहलुओं पर नज़र डालेंगे।

जन्म तिथि से कुंडली दोष कैसे पता चलेगा?

जैसा की हम अक्सर बताते हैं, की कुंडली का पहला मूल जातक के जन्म से जुड़ा होता है।  जन्म का समय, जन्म का स्थान, जन्म का दिन और जन्म की घडी पे ग्रहों एवं नक्षत्रों की दशा ही कुंडली का सही आधार होती है।  तो अगर आप कुंडली के दोषों की बात कर रहे हैं, तो उसका उत्तर तो संभवतः जन्म तिथि में ही होगा।  जी हाँ, वैदिक ज्योतिष के विज्ञाता आपको बड़े ही आसानी से जन्म तिथि के द्वारा कुंडली दोष के बारे में बता सकते हैं।  इसके अतिरिक्त, आज कल तो बहुत सारी होरोस्कोप एप्प मौजूद हैं, जिनकी सहायता से आप अपनी जन्म तिथि डाल कर अपने कुंडली से जुडी किसी भी दोष के बारे में पता लगा सकते हैं।  एक अच्छी ज्योतिष एवं होरोस्कोप ऐप जैसे की कर्मा ज्योतिष ऐप – आपको हर तरह के सवालों के जवाब दे सकती है – विवाह से जुड़े सवाल हों, या जीवन काल की भविष्यवाणी 

आइये जानें कुंडली से जुड़े दोषों में बारे मेंविस्तार से

कई बार ऐसा होता है की जातक को पता ही नहीं होता की आखिर इतना परिश्रम करके भी उसे सफलता क्यों नहीं मिल रही, अथवा जितना भी कमा ले उसे कमी ही रहती है, एवं कई बार तो ऐसा भी होता है की सब कुछ होने के बाद भी मन तथा परिवार की तरफ से नकारात्मकता  रहती है।  कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है।  ऐसा अक्सर कुंडली दोष के कारण ही होता है।  कई लोग इसे कर्मा का नाम देते हैं, तो कई कुछ और, लेकिन सही कारण आपकी कुंडली का निरिक्षण ही बता सकता है।  अगर किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से सम्पर्क किया जाये।  कुंडली दोष कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे की कालसर्प दोष, गुरु चांडाल दोष, विष दोष, मंगल दोष, केन्द्राधिपति दोष, पितृ दोष।  इन सभी दोषों के प्रभाव अलग अलग होते हैं, और इनका निवारण भी अलग अलग तरह से होता है।

इन सभी दोषों में से मंगल दोष ऐसा दोष है जो विवाह में अड़चन पैदा अक्सर करता है। कुंडली में मंगल दोष का होना विवाह में देरी के साथ साथ, वैवाहिक जीवन में असहयोग एवं अशांति का भी कारन बन सकता है अगर समय रहते, इसका उपाय न किया जाये। चलिए जानें सभी कुंडली दोषों के बारे में –

मंगल दोष –  मंगल दोष के बारे में आपने सुना तो है, लेकिन क्या आप जानते हैं की कैसे लगता है मंगल दोष।  अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह कुंडली के 4, 7, 8 एवं 12 भाव/घर में हो तो ये स्थिति मंगल दोष की बनती है।  मंगल दोष को ही मांगलिक दोष कहा जाता है।  मंगल दोष वाले जातक को हमेशा मंगल दोष  वाले पुरुष/स्त्री से ही विवाह करना चाहिए।  यदि इस दोष को अनदेखा करके विवाह कर लिया जाए तो वैवाहिक दंपत्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  जैसे की घर में कलह कलेश, दाम्पत्य सुख में कमी , विवाह के बाद यौन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं इत्यादि।  इसलिए ये अनिवार्य है की मंगल दोष के लिए उपाय किया जाये।

कुंडली में मंगल दोष कैसे कटता है?

मंगल दोष अगर आपकी कुंडली में है तो उसके लिए निम्नलिखित उपाय करें जिससे आपको अवश्य लाभ महसूस होगा।

  • मंगल की पूजा करें। मंगल पूजा ग्रह शांति के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।
  • मंगलवार को नियमित रूप से हनुमान मंदिर जाएं एवं प्रशाद बूंदी का अथवा बेसन लड्डू/बर्फी का लगाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • मंगलवार का व्रत भी करें।
  • किसी ज्योतिषी से मिल कर मंगल ग्रह शांति पूजा करवाएं एवं मूगा रत्न पहनें। तीन मुखी रुद्राक्ष भी धारण करना शुभ होगा।
  • मंगल दोष कुंडली में है तो विवाह से पूर्व किसी जगह पे नीम का वृक्ष ज़रूर लगाएं। इस वृक्ष को 43 दिन पानी इत्यादि दें। ये उपाय मंगल दोष शान्ति के लिए सिद्ध उपाय है।

कालसर्प दोष – ग्रहों एवं नक्षत्रों की दशा आपके जन्म के समय कैसे है, इसे से कुंडली में कालसर्प दोष बनता है।  राहु और केतु का एक दुसरे के सामने होना एवं बाकि ग्रहों का एक तरफ होने से कुंडली में काल सर्प दोष बनता है।  इस दोष की वजह से जातक को जीवनकाल में कई सारे दुखों एवं असफलताओं का सामना करना पड़ता है।  कालसर्प दोष से ग्रसित जातक को शिवजी की उपासना नियमित रूप से करनी चाहिए।  उसके साथ साथ, एक अच्छे ज्योतिषी से भी समपर्क कर उपाय करने चाहिए जिससे की जीवन की कठिनाईयों को कम किया जा सकता है।

विष दोष – कुंडली में अगर शनि एवं चन्द्रमा एक साथ एक घर में विराजमान हों तो इससे विष दोष बनता है।  विष दोष का प्रभाव भी अशांति एवं असफलताओं को उत्पन्न करता है।  इस दोष के निवारण एवं शांति हेतु  जातक को नागपंचमी के दिन व्रत करना लाभदायक सिद्ध होगा।  इसके अतिरिक्त, हर पंचमी को अगर व्रत किया जाए तो बहुत अच्छा होगा।

गुरु चांडाल दोष – अगर किसी कुंडली में गुरु राहु के साथ आ जाये तो इससे गुरु चांडाल दोष बनता है।  ऐसा जातक इस दोष के प्रभाव के कारण काफी तकलीफ से भरा जीवन जीता है।  इस दोष के प्रभाव को कम करने का सबसे बेहतर उपाय है की राहु के मंतोच्चारण कर एकाग्रता से ध्यान करें वो भी गुरुवार के दिन।  ऐसा करने से आपकी ज़िन्दगी में शांति आएगी और आप बेहतर महसूस करेंगे।

केन्द्राधिपति कुंडली दोष – कुंडली में केंद्र भाव पहला, सातवां, एवं दसवां घर होता है। यदि कन्या एवं मिथुन राशि वाले जातकों की जन्म कुंडली में गुरु चौथे, दसवें एवं सातवें घर में विराजमान हों तो उससे बनता है केन्द्राधिपति दोष।  इसके साथ साथ यदि धनु एवं मीन राशि के जातकों की कुंडली में पहले, चौथे, सातवें एवं दसवें घर में बुध विराजमान हों तो भी केन्द्राधिपति दोष बनता है कुंडली में।

पितृ दोष – जातक जिनकी कुंडली के नौवें भाव/घर में शुक्र, बुध अथवा राहु बैठे हों तो ये दशा पितृ दोष पैदा करती है।  इसके साथ साथ यदि दशम भाव/घर में बृहस्पति विराजमान हों तो भी पितृ दोष बनता है।  यही नहीं, कुंडली में यदि सूर्य के ऊपर राहु/केतु एवं शनि की यदि दृष्टि आये तो इससे जातक पे पितृ ऋण की दशा बनती है।

आपको अपनी कुंडली मिलान की जांच करनी चाहिए क्योंकि वहां हम शादी से पहले कुंडली दोष की जांच कर सकते हैं। हैप्पी मैरिज लाइफ के लिए उनका शमदान शाम पे करा सकते है। या अगर आप भी अपने जीवन में किसी तरह की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, लेकिन उस कठिनाई के पीछे के कारण से अज्ञात हैं, तो आज ही अपनी कुंडली को किसी अच्छे ज्योतिषी से दिखवाएं। कुंडली दोष का होना शायद आपकी ज़िन्दगी के कष्टों का एक कारण हो सकता है। तो उस दोष को जान, उसका समाधान आज ही करवाएं।

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सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम्- परम कल्याणकारी व सौभाग्यवर्धक स्त्रोत्र https://kundlihindi.com/blog/kunjika-stotram/ https://kundlihindi.com/blog/kunjika-stotram/#respond Wed, 10 Apr 2024 07:26:21 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2645 हमारे वैदिक ग्रंथों में अनेकों ऐसे पाठ और स्त्रोतों का वर्णन है जो हमें चमत्कारिक परिणाम प्रदान करते हैं। ऐसा ही एक स्त्रोत है – सिद्ध कुंजिका स्त्रोत। अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में जो विशेष रूप से माँ दुर्गा से सम्बंधित है, उनमें सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के पाठ का विधान है।  यह एक अत्यंत शुभ फल...

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हमारे वैदिक ग्रंथों में अनेकों ऐसे पाठ और स्त्रोतों का वर्णन है जो हमें चमत्कारिक परिणाम प्रदान करते हैं। ऐसा ही एक स्त्रोत है – सिद्ध कुंजिका स्त्रोत। अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में जो विशेष रूप से माँ दुर्गा से सम्बंधित है, उनमें सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के पाठ का विधान है।  यह एक अत्यंत शुभ फल प्रदायी स्त्रोत है और प्रमुख दुर्गा माता के अनुष्ठानों से पहले इसे पढ़ा जाता है। इस स्त्रोत को भगवान शिव ने देवी पार्वती को सिखाया था और इसे एक गुप्त स्त्रोत के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का एक पाठ हमें  संपूर्ण चंडिका पाठ को पढ़ने के बराबर शुभ परिणाम देती है। ऐसा भी माना जाता है कि सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के पाठ के बिना यदि चंडिका पाठ किया जाए तो यह पूर्ण परिणाम नहीं देता है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से आशीर्वाद और समृद्धि मिलती है, जो किसी भी संघर्ष में साहस और उत्तेजना देता है। यह स्तोत्र मां दुर्गा की कृपा को आकर्षित करता है और व्यक्ति को संघर्षों और अड़चनों से मुक्ति दिलाता है। गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र व्यक्ति के जीवन में स्थितियों को सुधारता है और उसे मां की कृपा से आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सिद्धकुंजिका स्त्रोत व वैवाहिक जीवन में समृद्धि

सिद्धकुंजिका स्त्रोत का पठन करने से वैवाहिक जेवण में समृद्धि आती है। इस स्त्रोत का सम्बन्ध भगवान् शिव और देवी पार्वती जी से है, इसके पठन से विवाह में यदि विलम्ब आ रहा हो तो दूर होता है और साथ ही साथ वैवाहिक रिश्तों में मधुरता आती है। सिद्धकुंजिका स्त्रोतम का पाठ करने से विवाह में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

सिद्धकुंजिका स्त्रोतम के महत्व को समझने के लिए हमें देवी दुर्गा की महिमा को समझना आवश्यक है। देवी दुर्गा हिंदू धर्म की मां शक्ति का प्रतीक हैं, जो सभी समस्याओं को दूर करने वाली हैं। सिद्धकुंजिका स्त्रोतम उनकी कृपा को प्राप्त करने का एक उपाय है। इसके माध्यम से ध्यान और पूजा करने से दुर्गा माता विवाह में समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

इस प्रकार, सिद्धकुंजिका स्त्रोतम विवाह संस्कार में समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है और इसे नियमित रूप से पाठ करने से विवाहित जोड़े के बीच खुशहाली और सुख का संचार होता है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम् के शब्द निम्नलिखित हैं:

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

ह्रीं क्लीं ऐं

नमः श्रीं ऐं विजय विभवायै नमः।

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

ऐं क्लीं ह्रीं सौ:

नमः श्रीं ऐं सद्य बलायै नमः।

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

ह्रीं क्लीं ऐं सर्वजन प्रियायै नमः।

नमः श्रीं ह्रीं ऐं विश्व जनन्यै नमः।

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

ऐं क्लीं ह्रीं हुं फट् स्वाहा

नमः श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महारौद्र्यै नमः।

यह स्तोत्र समस्त संकटों के निवारण और अच्छे भाग्य की प्राप्ति के लिए जाना जाता है।

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कुंडली में दूसरा विवाह है तो कैसे पता चलेगा? https://kundlihindi.com/blog/kundli-me-dusre-vivah-ka-yoga/ https://kundlihindi.com/blog/kundli-me-dusre-vivah-ka-yoga/#respond Tue, 02 Apr 2024 11:14:21 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2640 आपकी कुंडली आपके जीवन का आइना है, इसके विश्लेषण द्वारा आपके जीवन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण क्षेत्र या इकाई को परखा जा सकता है। विवाह जीवन का महत्वपूर्ण अंग है लेकिन कभी-कभी कुंडली में दो विवाह का योग बनता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने वैवाहिक जीवन में बहुत सी कठिनाइयों से जूझ रहा होता...

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आपकी कुंडली आपके जीवन का आइना है, इसके विश्लेषण द्वारा आपके जीवन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण क्षेत्र या इकाई को परखा जा सकता है। विवाह जीवन का महत्वपूर्ण अंग है लेकिन कभी-कभी कुंडली में दो विवाह का योग बनता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने वैवाहिक जीवन में बहुत सी कठिनाइयों से जूझ रहा होता है क्यूंकि कहीं न कहीं उसकी कुंडली में दूसरा विवाह योग/ second marriage yoga in kundli उसे परेशानी दे रहा होता है। कुंडली के ग्रह कुछ ऐसे योगों का निर्माण करते हैं जिनसे पता चलता है कि व्यक्ति की दो विवाह की संभावना है।

आइये जानते हैं कि कुंडली में दो विवाह का योग कब बनता है और क्या व्यक्ति इससे बच सकता है? साथ ही साथ हम यह भी जानेंगें कि कैसे आपकी कुंडली यह भी बताती है कि आपका दूसरा विवाह सफल होगा या नहीं और आप अपने दुसरे विवाह में कितने खुश रहेंगें।

कुंडली में दूसरे विवाह के योग

ज्योतिष शास्त्र में, दूसरे विवाह के लिए हम नवें भाव पर ध्यान देते हैं पर उसके लिए पहले आपका सातवां भाव पीड़ित होना चाहिए जो विवाह का मुख्य भाव है। साथ ही साथ शुक्र, चन्द्रमा, और गुरु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चन्द्रमा यदि सातवें भाव में हो तो वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति देता है। शुक्र ग्रह विवाह का कारक है और इसकी स्थिति भी दूसरे विवाह के लिए अति आवश्यक है। बृहस्पति भी विवाह का कारक है और वैवाहिक सुख के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

कुंडली में दूसरे विवाह के लिए ग्रहों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रह हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं, जो कभी कुछ अच्छा और कभी कुछ बुरा।

कुंडली में दूसरे विवाह के लिए महत्वपूर्ण ग्रह:

  • मंगल ग्रह – मंगल को एक आक्रामक ग्रह माना जाता है जो विवाह जैसे रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसका सातवां घर से संबंधित होने पर तलाक की संभावना पैदा होती है। स्वास्थ्य भविष्यवाणी के लिए भी मंगल की मदद ली जाती है।
  • राहु और केतु ग्रह – राहु और केतु को पाप ग्रह माना जाता है, और इनका बुरा प्रभाव दूसरे विवाह की संभावना को बढ़ा सकता है, विशेषकर सप्तम भाव में।
  • सूर्य और चंद्रमा ग्रह – सूर्य और चंद्रमा का सप्तम भाव में होना एकस्ट्रा मैरिटल अफेयर की संभावना बढ़ा सकता है और पहली शादी में तलाक की संभावना होती है।
  • शनि ग्रह – शनि का बुरा प्रभाव व्यक्ति को विलासी और अवैध संबंधों में ले जाता है, जिससे तलाक हो सकता है।
  • शुक्र ग्रह – शुक्र का बुरा प्रभाव भी दूसरे विवाह के योग को बढ़ा सकता है और विवाहित जीवन में समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है।

आप ले सकते हैं:  चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के लिए परामर्श

दूसरे विवाह के लिए व्यक्ति की कुंडली के निम्न भाव महत्वपूर्ण है:

  • द्वितीय भाव – द्वितीय भाव मुख्य रूप से धन से संबंधित होता है, लेकिन इस भाव के पाप ग्रहों का होना व्यक्ति के दूसरे विवाह के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
  • सप्तम भाव – सप्तम भाव विवाह से संबंधित होता है और इस भाव में शुक्र का प्रभाव व्यक्ति के दो विवाहों के योग को बढ़ा सकता है।
  • अष्टम भाव – अष्टम भाव में पाप ग्रहों के रहने से व्यक्ति का दूसरा विवाह हो सकता है, विशेषकर जब शनि सप्तम भाव में होता है। संपत्ति ज्योतिष द्वारा विवाद समाधान में भी आठवें भाव की अहम भूमिका रहती है।

क्या मेरी दूसरी शादी हो सकती है?

आपका दूसरा विवाह आपके नवम भाव पर निर्भर करता है। दूसरे विवाह के लिए यदि आपको सही दशा व गोचर मिला तो आपका दूसरा विवाह होगा। एक प्रबल नवम भाव दूसरे विवाह के लिए अच्छी स्थिति है पर यदि सातवां भाव अधिक पाप प्रभाव में हो तो वैवाहिक सुख में कमी रहती है। ऐसे में व्यक्ति को ज्योतिषीय उपाय करना सकरात्मक परिणाम देता है।

आप ले सकते हैं: संपत्ति विवाद के लिए  ज्योतिष परामर्श

कितने दूसरे विवाह सफल होते हैं?

ज्योतिष के अनुसार यदि आपका नवां भाव मजबूत है तो आपका दूसरा विवाह सफल होगा। दूसरे विवाह की सफलता आपकी कुंडली पर निर्भर है। व्यवहारिक तौर पर, कुंडली में दूसरा विवाह तभी होता है जब पहला विवाह टूट जाए। इसका अर्थ यह हुआ कि आपका सांतवा भाव पीड़ित है। सातवें भाव के पाप प्रभाव में होने से वैवाहिक सुख में कमी आती है। दूसरा विवाह का सुख तभी मिलेगा जब आपका नवां भाव सातवें भाव से मजबूत हो।  कुंडली विश्लेषण से पता चलता है कि आपका दूसरा विवाह सफल होगा या नहीं।

विवाह के लिए ज्योतिषीय उपाय

गुरु मंत्र: गुरु मंत्र का जप करना विवाह के लिए फायदेमंद होता है।

मंगल मंत्र: मंगल मंत्र का जप भी विवाह में शुभ फल प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

गायत्री मंत्र: गायत्री मंत्र का जप विवाह से संबंधित समस्याओं को दूर कर सकता है।

शुक्र मंत्र: शुक्र मंत्र का जप शुक्र ग्रह की दशा में आने वाली विवाह संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।

कुंडली मिलान: विवाह के लिए कुंडली मिलान करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह विवाह से संबंधित समस्याओं को पहले से ही दूर कर सकता है।

दान: विवाह संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए धान, गुड़, घी, सफेद कपड़े आदि दान करना एक उपाय हो सकता है।

रत्न धारण: रत्नों से विवाह समस्याएं दूर हो सकती हैं। यह रत्न आपकी जन्म राशि और लग्न के अनुसार चुना जाता है।

व्रत: विवाह संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए विभिन्न व्रत रखे जाते हैं जैसे संतोषी माता व्रत, सोमवार व्रत, शनि व्रत, शुक्रवार व्रत आदि।

कुंडली विवाह के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, यह आपके वैवाहिक जीवन, दूसरी शादी योग, करियर, व्यवसाय आदि को परिभाषित करती है।

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कुंडली में तलाक के योग- कब, कैसे और इसका निवारण https://kundlihindi.com/blog/kundli-me-talak-ka-yoga/ https://kundlihindi.com/blog/kundli-me-talak-ka-yoga/#respond Mon, 01 Apr 2024 05:11:36 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2633 तलाक आज के युवा दम्पत्तियों के लिए एक नयी समस्या बनती जा रही है। आधिनिक जीवन शैली, आत्म निर्भरता और समर्पण की भावना के अभाव में दंपत्ति समझौता करने से बेहतर अलग हो जाना ठीक समझते हैं। आपकी कुंडली से आपके वैवाहिक जीवन की पूरी जानकारी ली जा सकती है। यदि कुंडली में तलाक योग...

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तलाक आज के युवा दम्पत्तियों के लिए एक नयी समस्या बनती जा रही है। आधिनिक जीवन शैली, आत्म निर्भरता और समर्पण की भावना के अभाव में दंपत्ति समझौता करने से बेहतर अलग हो जाना ठीक समझते हैं। आपकी कुंडली से आपके वैवाहिक जीवन की पूरी जानकारी ली जा सकती है। यदि कुंडली में तलाक योग हो तो समय रहते ज्योतिषीय सलाह व उपायों से आप इसे सुधार सकते हैं अन्यथा आपको वैवाहिक सुख से वंचित रहना पड़ सकता है क्यूंकि यदि कुंडली में तलाक का योग है तो आप चाहे कितने ही विवाह करें आप इस तलाक योग के उपायों को करे बिना, सफल नहीं होंगें।

आइये जानते हैं कुंडली में तलाक के योग कब बनते हैं, कौन से ग्रह वैवाहिक सुख को भंग करते हैं, और तलाक के योग से कैसे बचा जा सकता है।

कुंडली में तलाक योग

कुंडली का सप्तम भाव विवाह का मुख्य भाव होता है। इस भाव पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव यह संकेत देता है कि दाम्पत्य सुख में किसी प्रकार की कमी रहेगी।  अब यदि सप्तम भाव के पीड़ित होने के साथ हमें निम्न ज्योतिषी संकेत भी मिलें तो निश्चित रूप से कुंडली में तलाक योग बनता है :

  • अगर कुंडली में लग्नेश, सप्तमेश, या चंद्रमा विपरीत स्थिति यानि 2-12 या 6-8 की स्थिति में हो, तो तलाक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • जब सप्तम भाव या चतुर्थ भाव का स्वामी छठे या बारहवें भाव में होता है, तो पति-पत्नी के बीच अलगाव की स्थिति बनती है, जो तलाक के योग को बढ़ाता है।
  • यदि सूर्य, राहु, या शनि सातवें भाव में हो, और शुक्र भी सम्मिलित हो, तो भी तलाक के योग बनते हैं।
  • सप्तमेश और बारहवें भाव के स्वामियों का परिवर्तन योग हो तो भी तलाक योग बनता है।
  • यदि चतुर्थ भाव पीड़ित हो तो गृहस्थ सुख में बाधा आती है।
  • अगर जन्म कुंडली में शुक्र किसी पापी ग्रह के साथ छठे, आठवें, या बारहवें स्थान में स्थित हो तो विवाह भंग हो सकता है।
  • अगर कुंडली में प्रेम का कारक ग्रह, शुक्र, नीच या वक्री अवस्था में ट्रिक भाव में बैठे, तो यह अलगाव का संकेत है।
  • अगर सप्तमेश छठे या आठवें भाव के स्वामी के साथ युति करता है और उस पर पाप प्रभाव हो, तो भी अलगाव हो सकता है।
  • यदि शनि या राहु, पीड़ित अवस्था या किसी बुरे भाव के स्वामी हो कर लग्न में स्थित हो तो तलाक के प्रबल योग बनते हैं।
  • अगर सप्तमेश वक्री या दुर्बल हो, तो भी अलगाव होता है।

ज्योतिष में तलाक या विवाह भंग में ग्रहों की भूमिका

ज्योतिष में पाप ग्रह सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु अधिकांशतया तलाक की स्थिति उत्पन्न करते हैं।

ज्योतिष में सूर्य और तलाक का योग:

सूर्य ग्रह गर्म प्रकृति का ग्रह है और अहंकार व ना झुकने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। यदि किसी व्यक्ति की जन्मपत्रिका में सूर्य या उसके राशि स्वामी का सम्बन्ध पहले या सातवें भाव से बन जाये तो तलाक का कारण/ DIVORCE REASON बन सकता है।

तलाक का निर्धारण केवल सूर्य की स्थिति से ही नहीं होता। यदि सूर्य मित्र राशि में है, तो वहाँ संघर्ष तो रहेगा, जीवन साथी एक-दूसरे को दोष या गर्म शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन अंत में तलाक नहीं होता। शुक्र ग्रह की स्थिति भी महत्वपूर्ण है। विवाह मामलों में निर्णय लेते समय, नवमांश (डी-9) चार्ट का भी बहुत महत्व होता है। किसी भी निर्णय से पहले, ज्योतिषीय सलाह आवश्यक है।

ज्योतिष में मंगल और तलाक का योग:

कुंडली में मंगल दोष हो तो भी वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं। मंगल को झगड़े का ग्रह माना गया है इसलिए जब यह सातवें भाव या लग्न में हो तो शारीरिक और मौखिक झगड़े करवाता है। नवमांश को भी देखना आवश्यक है। कुंडली में संपत्ति विवाद भी मंगल से देखा जाता है। मंगल घरेलु हिंसा का संकेत देता है कुंडली से आप जान सकते है कि क्या लड़की को शारीरिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ेगा? यदि मंगल कुंडली में राजयोग कारक है या शुभ स्थिति में है सुखी वैवाहिक जीवन भी देता है। मंगल ग्रह आपके अंदर का “उत्साह” है और यदि यह ठीक स्थिति में है तो यह आपको अपने जीवन साथी व सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रेरित करेगा।

आप ले सकते हैं: संपत्ति विवाद के लिए  ज्योतिष परामर्श

ज्योतिष में शनि और तलाक के योग:

शनि संदेह की स्थिति देता है। यदि यह लग्न या सातवें भाव से सम्बंधित हो तो यह व्यक्ति को संदिग्ध स्वभाव का बना देता है जिससे वह हमेशा अपने जीवन साथी पर संदेह करता है। शनि वैवाहिक असंतुष्टि देता है। जीवन साथी अचानक ही एक दुसरे से लड़ते हैं। शनि दीर्घ कालिक प्रभाव देता है कभी-कभी यह जीवन भर अलगाव की स्थिति देता है, कोई आधिकारिक तलाक नहीं होता और साथी अलग रहते हैं। शनि गलतफहमी दे धीरे-धीरे झगड़े, परेशानियां और अंत में तलाक देता है।

ज्योतिष में राहु और तलाक के योग:

राहु अलगाववादी ग्रह है, यह धुएं के सामान प्रभाव देता है। व्यक्ति साफ़ तस्वीर नहीं देख पाता। राहु कभी भी संतुष्ट नहीं होता और यदि यह लग्न या सातवें भाव से जुड़ा हो तो व्यक्ति अपने साथी से हमेशा असंतुष्ट रहता है। वह लंबे समय तक किसी एक रिश्ते में नहीं रह पाता। राहु शारीरिक असंतुष्टि के कारण तलाक देता है।

ज्योतिष में केतु और तलाक के योग:

केतु सांसारिक ग्रह नहीं है यह भौतिकता और सांसारिक सुखों को समाप्त कर देना चाहता है। यह लग्न या सातवें भाव में विवाह के प्रति अनिच्छा देता है। सेक्स लाइफ सीमित होती है जो संतान प्राप्ति के बाद बिलकुल ख़तम हो जाती है और वे एक-दूसरे से अलग रहने लगते हैं। केतु जीवन साथी को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी देता है जो कई बार तलाक का कारण बनता है।

आप ले सकते हैं:  चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के लिए परामर्श

कुंडली में तलाक योग को कैसे दूर किया जाये?

कुंडली में तलाक योग को दूर करने का प्रभावी उपाय है विषय की गंभीरता को समझना और एक अनुभवी व योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेना। आपकी कुंडली/kundli के आधार पर आपके लिए भिन्न भिन्न उपाय रहेंगें। भगवान् हनुमान व भगवान्की विष्णु की आराधना एक प्रभावी उपाय है जिसे आप सभी कर सकते हैं पर एक सटीक उपाय के लिए कुंडली विश्लेषण आवश्यक है। कर्मा करेक्शन या आपके दिनचर्या में सुधार के द्वारा बहुत हद तक सकारात्मक परिणाम पाए जा सकते हैं। किसी भी उपाय को बिना ज्योतिषीय सलाह के ना करें व सही ज्योतिषीय मार्गदर्शन प्राप्त कर अपने वैवाहिक जीवन को सफल बनाएं।

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जन्म कुंडली से भविष्य कैसे जाने? https://kundlihindi.com/blog/kundli-se-bhavishya-kaise-jane/ https://kundlihindi.com/blog/kundli-se-bhavishya-kaise-jane/#respond Wed, 20 Mar 2024 05:08:43 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2629 हिंदू धर्म में जन्म-कुंडली को किसी भी व्यक्ति का भविष्य देखने का सबसे सटीक और अहम तरीका माना जाता है। आज भी बच्चे के जन्म लेते ही सर्वप्रथम उसकी कुंडली बनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली किसी व्यक्ति के जीवन का आंकलन करने का महत्वपूर्ण दस्तावेज है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली...

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हिंदू धर्म में जन्म-कुंडली को किसी भी व्यक्ति का भविष्य देखने का सबसे सटीक और अहम तरीका माना जाता है। आज भी बच्चे के जन्म लेते ही सर्वप्रथम उसकी कुंडली बनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली किसी व्यक्ति के जीवन का आंकलन करने का महत्वपूर्ण दस्तावेज है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली उसकी जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। इसी जानकारी के आधार पर एक अनुभवी ज्योतिषी कुंडली के अलग-अलग भावों में स्थित ग्रहों की जांच करके भविष्य का पता लगाने में सक्षम होता है।

जन्म कुंडली क्या है?

जन्मकुंडली आपके जन्म के समय के ग्रह–नक्षत्रों को दशाओं और घटनाओं का एक स्नेप-शॉट यानी चित्रण होता है। जन्म कुंडली किसी व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य की घटनाओं को जानने का सर्वोत्तम साधन हैं। जन्म कुंडली/Janam Kundli में कुल 12 भाव होते है जोकि जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी चरणों की जानकारी देते हैं।

कुंडली के 12 भावों से जीवन के हर अध्याय के बारे में पता किया जाता है

प्रथम भाव  – जन्‍म और व्‍यक्ति का स्‍वभाव

द्वितीय भाव –  धन, नेत्र, मुख, वाणी, परिवार

तृतीय भाव – पराक्रम, छोटे भाई-बहन, मानसिक संतुलन

चतुर्थ भाव – माता, सुख, वाहन, प्रापर्टी, घर

पंचम भाव – संतान और बुद्धि

षष्ठम भाव – रोग, शत्रु और ऋण

सप्तम भाव – विवाह, जीवनसाथी, पार्टनरशिप

अष्टम भाव – आयु, खतरा, दुर्घटना

नवम भाव – भाग्‍य, पिता, गुरु, धर्म

दशम भाव – कर्म, करियर, व्यवसाय, पद

एकादश भाव – दोस्ती , लाभ, अभिलाषा, पूर्ति

द्वादश भाव – खर्चा, नुकसान, मोक्ष

कुंडली विश्लेष करने के बाद जब यह पता चल जाता है कि कुंडली/kundali के किस भाव में कौन सा ग्रह है, तो जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे प्रेम, विवाह, शिक्षा, करियर आदि पर उनके प्रभाव को समझना आसान हो जाता है। जन्म के समय व्यक्ति की कुंडली में अनेक ग्रहों की स्थिति उनकी विशेषताओं, पसंद, नापसंद आदि को परिभाषित करने में मदद करती है।

जन्म कुंडली से जानें विवाह की भविष्यवाणी

जन्म कुंडली का सप्तम भाव विवाह से जुड़ी भविष्यवाणी करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का सप्तम भाव विवाह का भाव होता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह और नक्षत्रों का विश्लेषण करके यह पता लगाया जा सकता है कि आपका विवाह कब होगा, आपका जीवनसाथी कैसा होगा और आपका वैवाहिक जीवन अच्छा रहेगा या नहीं?

करियर भविष्यवाणी

जन्म कुंडली के माध्यम से आप अपनी योग्यता के अनुसार सही करियर चुनाव कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का दशम भाव, करियर और व्यवसाय को दर्शाता है। दशम भाव में स्थित शुभ ग्रह जैसे सूर्य, गुरु, मंगल आपके लिए एक मजबूत करियर की ओर इशारा करते हैं।

स्वास्थ्य भविष्यवाणी

स्वास्थ्य ज्योतिष के अनुसार कुंडली का छठा भाव स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का खुलासा करता है। छठे घर में स्थित ग्रहों की स्थिति और पहलुओं की जांच से भविष्य में आने वाली परेशानियों का पता लगाया जा सकता है।

क्या ज्योतिष स्वास्थ्य में मदद कर सकता है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली का द्वितीय, षष्ठ, अष्टम और द्वादश भाव रोग, बीमारियों और सर्जरी के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनमें से षष्ठ भाव रोगों का प्रमुख भाव है। षष्ठ भाव पर कोई भी कष्ट बीमारियों के लिए ग्रहों के संयोजन को दर्शाता है। यदि इनमें से कोई भी भाव कमजोर या दुर्बल है तो व्यक्ति विशिष्ट चिकित्सा समस्याओं से पीड़ित होगा।

यदि आप स्वास्थ्य भविष्यवाणी के लिए परामर्श की तलाश कर रहे हैं, तो डॉ. विनय बजरंगी से संपर्क कर सकते हैं।

कुंडली में व्यवसाय योग कैसे जांचें?

जन्म कुंडली में व्यवसाय योग देखने के लिए जन्म कुंडली में बुध की स्थिति, दशम भाव यानी कर्म स्थान और एकादश भाव यानी सोर्स ऑफ इनकम का विश्लेष किया जाता है। दशम भाव में जो ग्रह स्थित हो उसके गुण और स्वभाव के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय होता है।

लग्नेश के साथ पंचमेश का संयोग: अगर कुंडली में लग्नेश और पंचमेश युग्म होते हैं, तो यह व्यवसाय योग के रूप में माना जाता है। इस योग का असर व्यक्ति को उच्च पदों पर सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

लग्नेश और धन करक या धनेश का संयोग: जब कुंडली में लग्नेश और धन करक या धनेश का संयोग होता है, तो यह व्यवसाय में सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत माना जाता है।

ग्रहों के स्थिति: कुंडली में उपस्थित ग्रहों की स्थिति भी व्यवसाय सफलता को प्रभावित कर सकती है। उच्च ग्रहों की स्थिति व्यक्ति को उच्च पदों पर स्थान प्राप्त करने में मदद कर सकती है।

दशा और अंतरदशा: कुंडली में विभिन्न दशा और अंतरदशाओं की गणना भी व्यवसाय में सफलता के लिए महत्वपूर्ण होती है। ये दशा और अंतरदशाएं व्यक्ति के जीवन में उसे व्यवसाय में प्रगति करने का उपयुक्त समय बताती हैं।

व्यवसाय में सफलता के लिए उपाय

यदि आप एक सफल व्यवसायी बनना चाहते हैं तो जन्मकुंडली में इसके लिए एक शुभ योग बेहद ही जरूरी होता है। इसके साथ ही कुछ उपाय करके भी आप अपने व्यापार-व्यवसाय में तरक्की पा सकते हैं।

व्यवसाय का प्रतिनिधि कारक ग्रह बुध होता है। व्यवसाय में तरक्की करने के लिए बुध ग्रह को मजबूत करना चाहिए। इसके लिए भगवान श्री गणेशजी को प्रसन्न करें। प्रत्येक बुधवार गणेशजी को 108 दुर्वा और बेसन से बनी मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपको व्यवसाय में सफलता मिलेगी।

किसी भी व्यक्ति की जन्म-कुंडली उसके भविष्य में आने वाली चुनौतियों और अवसरों को दर्शाती है। कुंडली में हर व्यक्ति का भविष्य छिपा होता है, जो हमें भविष्य के उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहने में मदद करती है। इस प्रकार, जन्म कुंडली एक महत्वपूर्ण और उपयोगी उपकरण है जो हमें जीवन की यात्रा में सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।

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जन्म कुंडली को चरण दर चरण कैसे पढ़ें https://kundlihindi.com/blog/janam-kundli-ko-step-by-step-kaise-padhe/ https://kundlihindi.com/blog/janam-kundli-ko-step-by-step-kaise-padhe/#respond Tue, 12 Mar 2024 11:21:53 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2625 ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली को बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। हमारी जन्म कुंडली के माध्यम से हम अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जान सकते हैं। जन्म कुंडली हमें अपने अच्छे और कठिन समय के बारे में अवगत करवाती है। इसके माध्यम से हमारे जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं...

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ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली को बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। हमारी जन्म कुंडली के माध्यम से हम अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जान सकते हैं। जन्म कुंडली हमें अपने अच्छे और कठिन समय के बारे में अवगत करवाती है। इसके माध्यम से हमारे जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने में मदद कर मिलती है। एक अनुभवी ज्योतिषी या विशेषज्ञ जन्म कुंडली का गहन विश्लेषण कर सकता है लेकिन आप स्वयं भी अपनी कुंडली की जांच कर सकते हैं। आज हम कुंडली पढ़ने के कुछ सरल और आसान नियम आपके साथ साझा करेंगे, जिसके बाद आप स्वयं अपनी कुंडली की जांच कर सकते हैं। ध्यान रखें कि व्यक्तिगत और विस्तृत अध्ययन के लिए, किसी ज्योतिषी से परामर्श करना सबसे अच्छा है।

पहला और आवश्यक कदम

अपनी ऑनलाइन मुफ़्त कुंडली बनाने के लिए kundlihindi.com पर  जाएं और ज्योतिष सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें। आपको वहां दिए गए टैब में अपना जन्म विवरण जैसे अपनी जन्मतिथि, जन्म का समय और जन्म स्थान प्रदान करना होगा। जैसे ही आप अपनी जन्म तिथि डालेंगे उसके तुरंत बाद ही आपकी जन्म कुंडली/Natal Chart तैयार होकर आपके समक्ष प्रस्तुत हो जाएगी। अब, आप जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए इस जन्म कुंडली का उपयोग कर सकते हैं।

जन्म कुंडलीएक संक्षिप्त अवलोकन

जन्म कुंडली में बारह घर/भाव होते हैं, जिनमें से प्रत्येक घर जीवन के एक अलग पहलू को दर्शाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 12 राशियां और नौ ग्रह होते हैं। विभिन्न घरों और राशियों में ग्रहों की स्थिति के आधार पर, हम यह समझ सकते हैं कि जन्म कुंडली जीवन के एक विशिष्ट पहलू के बारे में क्या कहती है। कुंडली के 12 भाव विभिन्न बातों को दर्शाते हैं:

  • प्रथम भाव- आपका व्यक्तित्व
  • दूसरा भाव- आपका धन, वाणी, भोजन और परिवार
  • तीसरा घर- आपके भाई-बहन, यात्रा, कौशल और प्रतिभा
  • चतुर्थ भाव- आपका घर, वाहन और जीवन में सुख
  • पंचम भाव- आपकी बुद्धि, रचनात्मकता, संतान और मनोरंजन
  • छठा घर – आपके ऋण, प्रतिस्पर्धी, रोग, मातृ पक्ष
  • सातवां घर- आपका जीवनसाथी, विवाह, साझेदारी और बाहरी दुनिया
  • आठवां घर – आपके दुख, अचानक घटनाएं, विरासत, अनर्जित धन
  • नवम भाव- आपका भाग्य, धर्म, लंबी यात्राएं, पिता, शिक्षक, गुरु
  • दसवां घर – आपका करियर, प्रतिष्ठा, स्थिति, शक्ति
  • एकादश भाव- आपका सामाजिक दायरा, इच्छाएं, लाभ
  • बारहवां घर- आपकी हानि, खर्च, गुप्त शत्रु और मोक्ष

विवाह के लिए जन्म कुंडली

जन्म कुंडली किसी के वैवाहिक जीवन के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती है, जिसमें उनके जीवनसाथी के बारे में जानकारी भी शामिल है। कुंडली का सप्तम भाव विवाह का प्रतिनिधित्व करता है, और इस भाव में स्थित राशि और ग्रह किसी व्यक्ति के विवाहित जीवन के बारे में महत्वपूर्ण सूचना देते हैं। यदि यह भाव पीड़ित हो या ग्रहों के अशुभ प्रभाव में हो तो विवाह में समस्या आ सकती है। सप्तम भाव में विभिन्न ग्रहों का प्रभाव अलग-अलग होता है और प्रत्येक ग्रह की स्थिति अलग-अलग परिणाम देती है।

आइए जानते हैं कि सप्तम भाव में स्थित अलग अलग ग्रहों का क्या मतलब होता है:

– सूर्य: मजबूत व्यक्तित्व और रिश्तों में गतिशील बातचीत।

– चंद्रमा: भावनात्मक संवेदनशीलता और साझेदारियाँ जो बदल सकती हैं।

– बुध: अच्छा संचार कौशल, लेकिन रिश्ते अस्थिर हो सकते हैं।

– शुक्र: साझेदारी में सद्भाव और प्यार।

– मंगल: भावुक रिश्ते, लेकिन कभी-कभी वे विवादास्पद हो सकते हैं।

– बृहस्पति: लाभकारी और सहायक साझेदारियाँ।

– शनि: रिश्ते जो चुनौतियों और सबक के साथ आते हैं।

– राहु: अपरंपरागत रिश्ते और अप्रत्याशित घटनाएं।

– केतु: साझेदारी में कार्मिक संबंध और अलगाव।

आप अपनी निःशुल्क कुंडली ऑनलाइन तैयार कर सकते हैं और अपने वैवाहिक जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए अपनी कुंडली के सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण कर सकते हैं।

करियर के लिए जन्म कुंडली

आपकी जन्म कुंडली आपकी नौकरी और करियर के बारे में बहुत कुछ बताती है। आपकी कुंडली का दसवां घर आपके करियर पथ के बारे में बताता है। इससे पता चलता है कि आपके पास किस तरह की नौकरी हो सकती है। यदि यहां अशुभ ग्रह हों तो आपको करियर में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली के दसवें घर में अलग-अलग ग्रह अलग-अलग परिणाम लाते हैं:

-सूर्य: करियर में सफलता और पहचान।

-चंद्रमा: उतार-चढ़ाव भरा करियर पथ और भावनात्मक संतुष्टि।

-बुध: करियर विकल्पों में बहुमुखी प्रतिभा और अनुकूलनशीलता।

-शुक्र: रचनात्मक गतिविधियाँ और करियर में सामंजस्य।

-मंगल: करियर उपलब्धि के लिए महत्वाकांक्षा और ड्राइव।

-बृहस्पति: करियर के अवसरों में वृद्धि और विस्तार।

-शनि: चुनौतियाँ और सबक जो करियर में सफलता की ओर ले जाते हैं।

-राहु: अपरंपरागत करियर पथ और मान्यता की इच्छा।

-केतु: करियर विकल्पों को प्रभावित करने वाले कर्म संबंधी सबक और सांसारिक सफलता से अलगाव।

आप अपनी निःशुल्क कुंडली ऑनलाइन तैयार कर सकते हैं और अपने करियर से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने दसवें घर में ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण कर सकते हैं।

व्यवसाय के लिए जन्म कुंडली

आपकी जन्म कुंडली में आपके व्यवसाय और करियर की संभावनाओं के बारे में बहुमूल्य जानकारी होती है। कुंडली में सातवां घर आपके व्यावसायिक संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है, और दसवां घर आपकी व्यावसायिक उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है। इन घरों में स्थित ग्रह आपके व्यावसायिक उद्यमों और करियर में उन्नति में संभावित सफलताओं और चुनौतियों का संकेत दे सकते हैं।

यदि इन घरों पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, तो यह आपकी साझेदारी और आकांक्षाओं में कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है। इन घरों में ग्रहों के प्रभाव को समझने से आपको अपने भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानकारी मिल सकती है। आपकी जन्म कुंडली संभावित सफलताओं और चुनौतियों सहित आपके व्यावसायिक प्रयासों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है। कुंडली में सातवां घर साझेदारी और व्यावसायिक संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है, जो आपके व्यावसायिक उद्यमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इस घर में स्थित राशियाँ और ग्रह आपकी व्यावसायिक साझेदारी और सहयोग के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रकट करते हैं।

इसी तरह, कुंडली में दसवां घर आपके करियर और सार्वजनिक छवि के लिए महत्वपूर्ण है, जो आपकी व्यावसायिक उपलब्धियों और आकांक्षाओं पर प्रकाश डालता है। यदि इनमें से कोई भी घर अशुभ ग्रहों से नकारात्मक रूप से प्रभावित है, तो आपकी व्यावसायिक साझेदारी और करियर आकांक्षाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इन घरों में विभिन्न ग्रहों के प्रभाव अलग-अलग होते हैं, जो व्यावसायिक उद्यमों और करियर में उन्नति के लिए अलग-अलग परिणाम देते है, जैसे

– सूर्य: व्यावसायिक साझेदारी में नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करता है

– चंद्रमा: व्यापारिक रिश्तों में भावनात्मक उतार-चढ़ाव से जुड़ा है

– बुध: व्यावसायिक सहयोग में संचार कौशल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

– शुक्र: साझेदारी में सद्भाव और रचनात्मकता लाता है

– मंगल: महत्वाकांक्षा और गठबंधनों में सफलता की प्रेरणा से जुड़ा है

– बृहस्पति: व्यावसायिक साझेदारी में वृद्धि और विस्तार का प्रतिनिधित्व करता है

– शनि: व्यावसायिक गठबंधनों के साथ आने वाली चुनौतियों और सबक का संकेत देता है

– राहु: व्यावसायिक साझेदारी के लिए अपरंपरागत दृष्टिकोण का प्रतीक है

– केतु: कर्म पाठ का प्रतिनिधित्व करता है जो व्यावसायिक सहयोग को प्रभावित करता है।

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विवाह में कुंडली मिलान के लिए विशेषज्ञ युक्तियाँ | https://kundlihindi.com/blog/vivah-me-kundli-milan-ki-visheshta/ https://kundlihindi.com/blog/vivah-me-kundli-milan-ki-visheshta/#respond Sat, 02 Mar 2024 10:57:34 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2621 हिंदू धर्म में विवाह के लिए आज भी कुंडली मिलान को ही प्राथमिकता दी जाती है। कुंडली मिलान, जिसे अष्टकूट मिलान के रूप में भी जाना जाता है, सदियों से चली आ रही एक परंपरा है जिसमें वर और वधू के गुण मिलान करके यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि वे दोनों एक दूसरे के...

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हिंदू धर्म में विवाह के लिए आज भी कुंडली मिलान को ही प्राथमिकता दी जाती है। कुंडली मिलान, जिसे अष्टकूट मिलान के रूप में भी जाना जाता है, सदियों से चली आ रही एक परंपरा है जिसमें वर और वधू के गुण मिलान करके यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि वे दोनों एक दूसरे के लिए उपयुक्त हैं या नहीं। विवाह की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि पार्टनर एक-दूसरे को कितनी अच्छी तरह समझते हैं और सहयोग करते हैं, जिसे अनुकूलता कहा जाता है। ज्योतिष में, कुंडली मिलान को आठ कूट यानि श्रेणियों के तहत जांचा जाता है इसलिए इसे अष्टकूट मिलान भी कहते हैं। प्रत्येक कूट या श्रेणी वित्तीय, आध्यात्मिक, शारीरिक, मानसिक और यौन अनुकूलता जैसे विभिन्न पहलुओं की जांच करता है। एक खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए कुंडली मिलान मुख्य आधार माना जाता है।

यह एक स्कोरिंग सिस्टम की तरह काम करता है। अष्टकूट मिलान में कुल 36 अंक का स्कोर होता है, जिसमें से कुंडली मिलान/kundli matching करके अंक प्राप्त करने की आवश्यकता है। यदि अष्टकूट मिलान का स्कोर 18 से अधिक होता है, तो इसे विवाह के लिए एक अच्छा मैच माना जाता है। यदि अष्टकूट मिलान स्कोर 18 से कम आता है तो यह विवाह उपयुक्त नहीं हो सकता है।

– कुंडली मिलान में भावी भागीदारों की कुंडली का मूल्यांकन करके उनके स्वभाव, मूल्यों और जीवन लक्ष्यों के संबंध में अनुकूलता का आकलन करना महत्वपूर्ण है।

– विचार करने के लिए एक और महत्वपूर्ण पहलू गुण मिलान विश्लेषण है, जो कुंडली में विभिन्न ज्योतिषीय कारकों के संरेखण का मूल्यांकन करता है।

– अष्टकूट अनुकूलता भी महत्वपूर्ण है, जो कुंडली मिलान में जीवन के आठ महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करता है।

– यदि कुंडली में किसी दोष की पहचान की जाती है, जैसे कि मंगल दोष या नाड़ी दोष, तो उनके प्रभाव को कम करने के लिए उपयुक्त उपचार या समाधान खोजना महत्वपूर्ण है।

– एक अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करने से कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के आधार पर व्यक्तिगत अंतर्दृष्टि और सलाह मिल सकती है।

– कुंडली मिलान के अलावा, भावनात्मक अनुकूलता, संचार और आपसी समझ एक सफल विवाह के लिए महत्वपूर्ण कारक हैं।

– आपसी समझ और अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिए अपनी अपेक्षाओं, विश्वासों और चिंताओं के बारे में अपने साथी के साथ खुली और ईमानदार बातचीत करें।

– इन विशेषज्ञ युक्तियों का पालन करके और विभिन्न कारकों पर विचार करके, आप विवाह में कुंडली मिलान के बारे में अधिक जानकारीपूर्ण निर्णय ले सकते हैं।

क्या विवाह के लिए कुंडली मिलान आवश्यक है?

जी हां, भारतीय संस्कृति के अलावा कई संस्कृतियों में विवाह के लिए कुंडली मिलान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। इसमें भावी जोड़े की अनुकूलता का आकलन करने और वैवाहिक रिश्तों में उत्पन्न होने वाली किसी भी संभावित समस्या की पहचान करने के लिए उनके ज्योतिषीय चार्ट की जांच की जाती है। कुंडली मिलान एक खुशहाल वैवाहिक जीवन की गारंटी नहीं देता, लेकिन यह मानसिक शांति जरूर देता है। सुखी विवाह के लिए उपयुक्त साथी ढूंढते समय, किसी ज्योतिषी से परामर्श करना जो कारक, चंद्र राशि, नक्षत्र और गुण स्कोर का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करता है, अत्यधिक प्रभावी हो सकता है। ज्योतिषीय विश्लेषण साधारण गुण मिलान स्कोर से आगे की भी बहुत विस्तृत जानकारी दे सकता है।

विवाह के लिए कुंडली मिलान कैसे करें?

विवाह के लिए कुंडली मिलान की जाँच में कई चरण शामिल होते हैं:

  1. जन्म विवरण: संभावित वर और वधू के जन्म की तारीख, समय और स्थान सहित सटीक जन्म विवरण इकट्ठा करें।
  2. कुंडली बनाएं: ज्योतिषीय सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके या किसी ज्योतिषी से परामर्श करके दोनों व्यक्तियों की जन्म कुंडली बनाएं।
  3. गुण मिलान का आकलन करें: गुण मिलान करें, जिसमें वर और वधू के गुणों का मिलान शामिल है। यह आम तौर पर अष्टकूट विधि का उपयोग करके किया जाता है, जो विभिन्न संगतता पहलुओं को अंक प्रदान करता है।
  4. कुंडली के दोषों की जांच करें: किसी भी कुंडली में मंगल दोष, नाड़ी दोष, या भकूट दोष जैसे दोषों की पहचान करें। दोष विवाह में संभावित चुनौतियों का संकेत दे सकते हैं और उपचार या आगे के विश्लेषण की आवश्यकता हो सकती है।
  5. 5. ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करें: विवाह और अनुकूलता पर उनके प्रभाव को समझने के लिए कुंडली में मंगल, शुक्र, और बृहस्पति जैसे ग्रहों की स्थिति की जांच करें।
  6. अन्य कारकों पर विचार करें: चंद्रमा और लग्न की स्थिति, साथ ही कुंडली में तत्वों और गुणों के समग्र संतुलन जैसे कारकों को ध्यान में रखें।
  7. किसी ज्योतिषी से परामर्श लें: किसी अनुभवी ज्योतिषी से मार्गदर्शन लें जो कुंडलियों की व्याख्या कर सके, अनुकूलता का आकलन कर सके और मिलान प्रक्रिया में बताई गई किसी भी चुनौती के लिए अंतर्दृष्टि या उपाय प्रदान कर सके।
  8. निष्कर्षों पर चर्चा करें: कुंडली/kundli के मिलान के परिणामों को दोनों परिवारों के साथ साझा करें और किसी भी संभावित चिंता या अनुकूलता के क्षेत्रों पर चर्चा करें। विवाह करना है या नहीं करना है इस बात का निर्णय दोनों परिवार आपस में बातचीत करके लें।

वर और वधू इन चरणों का पालन करके और जानकार व्यक्तियों से परामर्श करके अपनी अनुकूलता के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने विवाह से जुड़े सूचित निर्णय ले सकते हैं।

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क्या लव मैरिज में भी जरूरी है कुंडली मिलाना? https://kundlihindi.com/blog/kya-prem-vivah-me-jaruri-hai-kundli-milan/ https://kundlihindi.com/blog/kya-prem-vivah-me-jaruri-hai-kundli-milan/#respond Fri, 23 Feb 2024 09:45:32 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2615 ज्योतिष शास्त्र में कुंडली मिलान को विवाह के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। यह माना जाता है कि कुंडली मिलान से वर-वधू के बीच तालमेल और अनुकूलता का पता चलता है।  कुंडली मिलान का महत्व भारतीय संस्कृति में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है। यह दो आत्माओं का मिलन होता है जो जीवन भर साथ रहने का वादा करते हैं। शादी के बाद जीवन में कई...

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ज्योतिष शास्त्र में कुंडली मिलान को विवाह के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। यह माना जाता है कि कुंडली मिलान से वर-वधू के बीच तालमेल और अनुकूलता का पता चलता है।

 कुंडली मिलान का महत्व

भारतीय संस्कृति में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है। यह दो आत्माओं का मिलन होता है जो जीवन भर साथ रहने का वादा करते हैं। शादी के बाद जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन यदि पति-पत्नी के बीच तालमेल अच्छा हो तो वे हर मुश्किल का सामना आसानी से कर सकते हैं।

कुंडली मिलान ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग-अलग होती है। इन ग्रहों की स्थिति का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व और जीवन पर पड़ता है। कुंडली मिलान के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि दो व्यक्तियों की कुंडली में ग्रहों की स्थिति कितनी अनुकूल है।

लव मैरिज में भी जरूरी है कुंडली मिलान

आजकल, लव मैरिजआम बात हो गई है। लेकिन, लव मैरिज में भी कुंडली मिलान महत्वपूर्ण है। प्यार में होने के बावजूद, दो व्यक्तियों की कुंडली में कुछ ऐसे दोष हो सकते हैं जो उनके वैवाहिक जीवन में समस्या पैदा कर सकते हैं। कुंडली मिलान के माध्यम से, इन दोषों का पता लगाया जा सकता है और उनके लिए उपाय भी किए जा सकते हैं।

कुछ कारण:

  • अनुकूलताका पता: कुंडली मिलान से वर-वधू के बीच तालमेल और अनुकूलता का पता चलता है।
  • संभावितसमस्याओं का अनुमान: कुंडली मिलान से वैवाहिक जीवन में आने वाली संभावित समस्याओं का अनुमान लगाया जा सकता है।
  • उपायोंका सुझाव: ज्योतिष कुंडली मिलान के आधार पर वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए उपाय भी सुझा सकते हैं।

कुंडली मिलान  करने से वरवधू के जीवन पर प्रभाव

कुंडली मिलान न करने से वर-वधू के जीवन पर कई तरह के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • पतिपत्नीके बीच अनबन और झगड़े: कुंडली/kundli में यदि ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं है, तो वर-वधू के बीच अक्सर अनबन और झगड़े होते रहते हैं।
  • शादीमें देरी: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई दोष है तो उसकी शादी में देरी हो सकती है।
  • स्वास्थ्यसंबंधी समस्याएं: कुंडली में यदि कोई ग्रह अशुभ होते हैं, तो वर-वधू को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • आर्थिकसमस्याएं: कुंडली में यदि कोई ग्रह अशुभ होते हैं, तो वर-वधू को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • संतानसुख में बाधा: कुंडली में यदि कोई ग्रह अशुभ होते हैं, तो वर-वधू को संतान सुख में बाधा आ सकती है।

डॉ. विनय बजरंगी का सुझाव

प्रसिद्ध ज्योतिषी डॉ. विनय बजरंगी का कहना है कि लव मैरिज में भी कुंडली मिलान जरूर करवाना चाहिए। उनका कहना है कि कुंडली मिलान/Horoscope Matching एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो दो व्यक्तियों की अनुकूलता का आकलन करने में मदद करती है।

निष्कर्ष

कुंडली मिलान एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय पहलू है जो वर-वधू के बीच तालमेल और अनुकूलता का पता लगाने में मदद करता है। लव मैरिज में भी कुंडली मिलान महत्वपूर्ण है। कुंडली मिलान न करने से वर-वधू के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करवाना एक समझदारी भरा निर्णय है। यदि आप लव मैरिज/love marriage करने की योजना बना रहे हैं, तो ज्योतिषी से सलाह लेना और कुंडली मिलान करवाना उचित होगा।

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जन्मतिथि के आधार पर ज्योतिष मेरे भविष्य की भविष्यवाणी कैसे करता है https://kundlihindi.com/blog/janm-tithi-ke-anusar-kundli-ka-bhavishya/ https://kundlihindi.com/blog/janm-tithi-ke-anusar-kundli-ka-bhavishya/#respond Tue, 20 Feb 2024 09:52:24 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2612 ज्योतिष एक परंपरागत भारतीय विज्ञान है जो ग्रहों, नक्षत्रों, और राशियों की स्थिति, उनकी चाल और उनके आपसी संबंधों का अध्ययन करके किसी भी व्यक्ति के भविष्य की भविष्यवाणी करने का प्रयास करती है। क्या आप जानते हैं कि आपकी जन्मतिथि इसमें बहुत ही अहम भूमिका निभाती है। जन्मतिथि के आधार पर ज्योतिषशास्त्र में व्यक्ति...

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ज्योतिष एक परंपरागत भारतीय विज्ञान है जो ग्रहों, नक्षत्रों, और राशियों की स्थिति, उनकी चाल और उनके आपसी संबंधों का अध्ययन करके किसी भी व्यक्ति के भविष्य की भविष्यवाणी करने का प्रयास करती है। क्या आप जानते हैं कि आपकी जन्मतिथि इसमें बहुत ही अहम भूमिका निभाती है।

जन्मतिथि के आधार पर ज्योतिषशास्त्र में व्यक्ति की कुंडली बनाई जाती है, जिसमें ग्रहों की स्थिति, राशियों के स्वामी, नक्षत्रों का प्रभाव, और उनके आपसी संबंधों का विश्लेषण किया जाता है। इसके आधार पर ज्योतिषी व्यक्ति के जीवन, पेशेवर सफलता, स्वास्थ्य, विवाह, आर्थिक स्थिति, आदि की भविष्यवाणी करते हैं।

कुंडली में व्यक्ति के जन्म समय, जन्म स्थान और जन्म तिथि के साथ-साथ विभिन्न ग्रहों और राशियों की स्थिति का विवरण होता है। इसके आधार पर ज्योतिषी विभिन्न भविष्यवाणियों को बताते हैं। आपकी जन्म तिथि आपके पूरे जीवन का एक सार होती है जिसमें आपके जन्म के समय के ग्रह, नक्षत्रों, उनकी स्थिति और गोचर के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।

जन्मतिथि के अनुसार राशिफल भविष्यवाणी

जन्मतिथि के आधार पर आपकी कुंडली/Janam Kundli बनाई जाती है और कुंडली से ही राशिफल की जानकारी प्राप्त होती है। राशिफल से किसी भी व्यक्ति के जीवन, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, परिवार, पेशेवर सफलता की भविष्यवाणी करने का एक प्रमुख तरीका है। इसमें व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों, राशियों, नक्षत्रों, और उनके आपसी संबंधों का विश्लेषण होता है।

आपके जीवन की भविष्यवाणी विशेष रूप से 12 राशियों के नाम पर आधारित होता है, जिन्हें बारह भागों में विभाजित किया जाता है – मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, और मीन राशि।

जन्मतिथि के अनुसार कई चीजों का अनुमान लगाया जा सकता है:

राशि : जन्मतिथि के आधार पर व्यक्ति की सूर्य राशि निकाली जाती है, जिसके आधार पर आपकी विशेषताओं का पता लगाया जा सकता है।

लग्न : जन्म कुंडली में व्यक्ति की लग्न राशि भी होती है, जो व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व को दर्शाती है।

नक्षत्र : जन्मतिथि के अनुसार व्यक्ति के जन्म नक्षत्र का भी पता लगाया जा सकता है और इसका हमारे जीवन पर विशेष प्रभाव भी होता है।

इसके बाद, ज्योतिषी व्यक्ति की कुंडली/kundli में स्थित ग्रहों की स्थिति, उनके आपसी संबंध, और उनके द्वारा प्रदान किए जा रहे प्रभाव का विश्लेषण करता है और इसके आधार पर भविष्यवाणी करता है। हर राशि का अपना विशेष गुण, स्वभाव, और चुनौतियां होती हैं जिन्हें ज्योतिषी द्वारा विश्लेषित किया जाता है।

कुंडली द्वारा वैवाहिक जीवन की भविष्यवाणी

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कुंडली विश्लेषण के माध्यम से वैवाहिक जीवन की भविष्यवाणी करना एक प्रमुख उपाय है। इसमें कुंडली में स्थित ग्रहों, राशियों, नक्षत्रों, और उनके आपसी संबंधों का विश्लेषण होता है, जिससे व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं का पता चलता है। वैवाहिक जीवन की भविष्यवाणी करने में कुंडली विश्लेषण का विशेष महत्व होता है।

कुंडली का सप्तम भाव : कुंडली का सप्तम भाव विवाह, साझेदारी और जीवनसाथी से संबंधित होता है। इसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर सीधा प्रभाव डालता है।

सप्तम भाव के स्वामी : सप्तम भाव के स्वामी और उसकी स्थिति भी महत्वपूर्ण हैं। उनका स्थान और स्थिति व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर प्रभाव डालते हैं। यदि सप्तम भाव और उसका स्वामी शुभ स्थिति में हो तो आपके वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि की पूर्ण संभावना मानी जाती है। यदि यह कमजोर स्थिति में हो तो आपको वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।

कुंडली मिलान :विवाह के लिए आज भी सर्वप्रथम कुंडली मिलान को प्राथमिकता दी जाती है। कुंडली मिलान को गुण मिलान भी कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली किसी अन्य व्यक्ति की कुंडली के साथ मेल खाती है, तो ही विवाह के लिए हां की जाती है। आज भी भारत में कुंडली मिलान को ही सफल विवाह का मजबूत आधार माना जाता है।

नवांश कुंडली: नवांश लग्न कुंडली का एक विशेष हिस्सा है जो वैवाहिक जीवन के प्रभाव को दर्शाता है। इसमें स्थित ग्रहों और राशियों का विश्लेषण करके व्यक्ति के विवाहित जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं का पता चलता है।

योगकारक ग्रह : कुछ ग्रह विशेष योगकारक होते हैं और विवाह के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कुंडली में स्थिति दोषविवाह की भविष्यवाणी करने के लिए एक अनुभवी ज्योतिष कुंडली में स्थित दोषों को पढ़ता है। कुंडली में कई बार मांगलिक दोष, पितृ दोष या काल सर्प दोष मौजूद होने के कारण यह विवाह में अड़चन पैदा करते हैं। ज्योतिषीय उपाय अपनाकर कुंडली के इन दोषों को दूर किया जा सकता है।

बच्चे के भविष्य की भविष्यवाणी

बच्चे की जन्मतिथि के आधार पर भविष्यवाणी करने के लिए ज्योतिषीय विश्लेषण का उपयोग किया जा सकता है। यह भविष्यवाणी बच्चे के व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार, आदि के बारे में सूचना प्रदान कर सकती है। आप बच्चे की जन्मतिथि का उपयोग उनकी भविष्यवाणी करने के लिए कर सकते हैं:

राशि : बच्चे की जन्मतिथि से आप उनकी सूर्य राशि या जन्म राशि प्राप्त कर सकते हैं। इससे आप उनके व्यक्तित्व की मुख्य विशेषताएं, आदतें, और स्वभाव के बारे में जान सकते हैं।

चंद्र राशि : बच्चे की जन्मतिथि और समय के आधार पर आप उनकी चंद्र राशि या मून साइन प्राप्त कर सकते हैं, जो उनकी भावना और आत्मा को प्रदर्शित कर सकती है।

लग्न राशि : बच्चे की जन्मतिथि, समय और स्थान के आधार पर आप उनकी लग्न राशि या एसेंडेंट प्राप्त कर सकते हैं, जो उनके व्यक्तित्व और बाहरी प्रदर्शन को दिखा सकती है।

नक्षत्र : बच्चे की जन्मतिथि से उनके जन्मनक्षत्र को जानने से उनकी व्यक्तिगतता, स्वभाव, और भावनाएं स्पष्ट हो सकती हैं।

ग्रहों की स्थिति : बच्चे के जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति और योग का विश्लेषण करके आप उनके जीवन में कुछ महत्वपूर्ण समय की पहचान कर सकते हैं।

योग और दोष : कुंडली में किसी विशेष योग या दोष के अध्ययन से आप बच्चे की शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक संबंधों को समझ सकते हैं।

ज्योतिष विज्ञान न के बच्चे के स्वभाव को समझने के साथ-साथ उसे उत्तम परवरिश देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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आपके भाग्य को समझने में कितनी कारगर होती है कुंडली? https://kundlihindi.com/blog/kaise-kundli-se-jane-apna-bhagya/ https://kundlihindi.com/blog/kaise-kundli-se-jane-apna-bhagya/#respond Mon, 12 Feb 2024 10:24:57 +0000 https://kundlihindi.com/?p=2553 जीवन में सुख समृद्धि और खुशियों को भाग्य से जोड़कर देखा जाता है। कहते है भाग्य का लिखा हमसे कोई छीन नहीं सकता। जो हमारी किस्मत में लिखा है वो हमें मिल कर ही रहेगा और उसे हमसे कोई छीन नहीं सकता। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारी जन्म कुंडली हमारे जीवन का सार मानी जाती...

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जीवन में सुख समृद्धि और खुशियों को भाग्य से जोड़कर देखा जाता है। कहते है भाग्य का लिखा हमसे कोई छीन नहीं सकता। जो हमारी किस्मत में लिखा है वो हमें मिल कर ही रहेगा और उसे हमसे कोई छीन नहीं सकता। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारी जन्म कुंडली हमारे जीवन का सार मानी जाती है। कुंडली के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में पता लगाया जा सकता है।

आज भी जीवन के बड़े निर्णय लेने के लिए या अपने भविष्य के बारे में जानने के लिए हम कुंडली को ही एकमात्र सहारा मानते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली का नवम भाव ही भाग्य स्थान कहलाता है। किसी व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा यह इस भाव में बैठे ग्रहों पर निर्भर होता है। नवम भाव में बैठे हुए ग्रह बताते हैं कि हमारे जीवन में सुख और धन कब आएगा। नवम भाव में स्थित हर ग्रह का अपना एक अलग महत्व होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में भाग्य भाव अच्छा होता है वह व्यक्ति भाग्यशाली होता है। नवम भाव से किसी व्यक्ति के धार्मिक दृष्टिकोण के बारे में भी पता चलता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के नवम भाव में सूर्य स्थित होते हैं, तो ऐसा व्यक्ति स्वाभिमानी और बहुत महत्वकांक्षी माना जाता है। ऐसे लोग राजनीति और सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी होती है।

यदि किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली/kundli के नवम भाव में चंद्रमा विराजमान हैं तो ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय कम उम्र में ही हो जाता है। ऐसे व्यक्ति दयालु प्रवृत्ति के होते हैं और यह अपने जन्म स्थान से दूर जाकर तरक्की करते हैं।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के नवें घर या भाग्य स्थान पर मंगल विराजमान होते हैं तो ऐसा व्यक्ति भूमि से संबंधित कार्यों में सफलता पाता है।

किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह का नवम स्थान होना दर्शाता है कि इस व्यक्ति का भाग्य उदय 32वें वर्ष में होगा। ऐसे लोग कल्पनाशील और बहुत अच्छे लेखक माने जाते हैं। ऐसे लोगों को ज्योतिष शास्त्र, गणित और पर्यटन के क्षेत्र में काफी लाभ मिल सकता है और यह अपने जीवन में प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।

नवम स्थान के स्वामी ग्रह देवगुरु बृहस्पति को माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली में गुरु इस स्थान में है, तो यह सबसे उत्तम होता है। ऐसे व्यक्ति का भाग्य उदय 24 वर्ष में होना तय होता है। इन्हें धन संपत्ति के साथ इन्हें अपार मान सम्मान भी प्राप्त होता है।

यदि नवम भाव में शुक्र देव विराजमान हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है। यह स्थिति सबसे शुभ मानी जाती है। ऐसा व्यक्ति कम उम्र में ही अच्छी सफलता हासिल करता है।

क्या कुंडली में लिखा सच होता है?

ज्योतिष शास्त्र सदियों से चली आ रही परंपरा है। प्राचीन काल से ही लोग इसमें अटूट विश्वास रखते आए हैं। आज भी विवाह के लिए कुंडली मिलान, करियर, आर्थिक भविष्य जानने के लिए सबसे पहले ज्योतिष पर ही विचार किया जाता है। विज्ञान की तरह ही ज्योतिष विज्ञान भी एक विज्ञान है। जिस तरह विज्ञान से हमें कई चीजों के लिए पूर्वानुमान लगा सकते है, ठीक वैसे ही ज्योतिष से हम अपने आने वाले समय का अनुमान लगा सकते हैं। ज्योतिष से हमें यह जानने में मदद मिलती है कि भविष्य में हमें लाभ होगा या नहीं, करियर अच्छा रहेगा या नहीं और सेहत कैसी रहेगी। ज्योतिष जीवन में होने वाली अच्छी और बुरी बातों के बारे में बता सकता है। कई लोग ज्योतिष विज्ञान पर पूर्ण रूप से विश्वास नहीं करते हैं। कई लोग मानते हैं कि जीवन में होने वाली बातों की भविष्यवाणी महज एक संभावना है।

इन उपायों से जाग जाएगी आपकी किस्मत

अक्सर ऐसा होता है कि व्यक्ति अधिक मेहनत भी करता है लेकिन उसे सफलता प्राप्त नहीं होती है। बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं। इतना ही नहीं किसी भी काम को करने जाए तो उसमें अड़चन सबसे पहले आती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति की जब किस्मत रूठ जाती है, तो किसी भी काम में सफलता हासिल नहीं होती है। ऐसे में जीवन में किसी न किसी तरह से नकारात्मकता बनी रहती है। माना जाता है कि ऐसा कई बार ग्रहों की स्थिति खराब होने के कारण भी होता है। अगर आप भी इस दौर से गुजर रहे है तो कुछ खास उपाय अपना सकते हैं। इससे आपको अवश्य लाभ मिलेगा।

  • अपने भाग्य को जगाने के लिए बृहस्पति संबंधी उपाय अपना सकते हैं।
  • इसके लिए पीपल की जड़ में जल चढ़ाएं।
  • प्रत्येक गुरुवार भगवान विष्णु जी की पूजा करें, केले के पेड़ पर हल्दी मिला जल अर्पित करें, इसके साथ ही पीली वस्तुओं का दान करें।
  • रोजाना माथे में केसरिया चंदन लगाएं। ऐसा करने से किस्मत जाग जाती है।
  • प्रतिदिन सूर्य देव को कुमकुम मिश्रित जल अर्पित करें और गायत्री मंत्र का नियमित रूप से जाप करें।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दान करने से भी ग्रहों की स्थिति सही हो जाती है। इसलिए एक मुट्ठी चावल हथेली में लें और उसमें एक रुपए का सिक्का रखकर किसी मंदिर में जाकर कोने में रख आएं।
  • एक सफेद रुमाल में चावल और सुपारी रखकर गांठ बांध दें और किसी मंदिर में रख आएं।
  • रोजाना शाम के समय पूजा करते समय कपूर जलाएं। ऐसा करने से भी आपकी किस्मत जाग जाएगी।
  • रोजाना पानी में एक चुटकी नामक डालकर घर में पौछा लगाने से जीवन से नकारात्मकता खत्म होती है और सफलता के रास्ते खुलने लगते हैं।

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